लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में मची कलह के बीच ”फोकस” एक बार फिर अमर सिंह पर है जिनका जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था कि पार्टी में मची रार के लिए ‘‘बाहरी आदमी” जिम्मेदार है.
महीने भर पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत दो मंत्रियो की बर्खास्तगी तथा मुख्य सचिव पद से दीपक सिंघल की विदाई से सत्तारुढ़ सपा परिवार में शुरू हुई रार के बीच मुख्यमंत्री ने जब यह कहा था, ‘‘परिवार में कुछ बाहरी लोग हस्तक्षेप करते रहते हैं” राजनीतिक दृष्टि से जानकार लोगों ने समझ लिया था कि इशारा किसकी तरफ है.
सपा के विभिन्न नेता पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश और प्रदेश अध्यक्ष एवं उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच चल रही वर्चस्व की जंग के पीछे कभी बिना नाम लिये तो कभी खुल कर नाम लेकर अमर सिंह को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.
वर्ष 1996 से लेकर 2010 तक समाजवादी पार्टी मुखिया के सबसे खास और सार्वजनिक रुप से सबसे जाने माने चेहरा रहे अमर सिंह को पार्टी के तत्कालीन महासचिव और मुलायम सिंह के चचेरे भाई, नगर विकास मंत्री आजम खां और अन्य कुछ ताकतवर नेताओ की नाराजगी और दबाव के बीच सपा मुखिया ने 2010 में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
उसके बाद पहले अपनी नयी पार्टी बनाकर और फिर 2014 में लोकदल के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड चुके अमर सिंह ने धीरे धीरे फिर अपने को ‘‘मुलायम वादी” साबित करते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का दिल जीत लिया और कुछ ही महीनो पहले मुलायम ने उन्हे न सिर्फ राज्यसभा भेज दिया बल्कि रामगोपाल तथा अखिलेश आदि की अनदेखी करते हुए फिर एक बार पार्टी के महासचिव पद पर तैनात कर दिया.
मगर जोड़तोड़ और बांटो और राज करो की राजनीति के माहिर तब के अमर सिंह और अब के अमर सिंह के्र सफर के बीच इतिहास में काफी पन्ने जुड़ चुके है तथा तब ‘ लड़के ‘ रहे अखिलेश राजनीति के गुर सीखते हुए प्रदेश में अपने बल पर पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई सपा सरकार के मुख्यमंत्री बन चुके है और कभी ”अंकल ” रहे अमर अब इस भतीजे के निशाने पर हैं.