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सपा में घमासान : अब अखिलेश ने शिवपाल से PWD व सिंचाई विभाग छीना

लखनऊ :समाजवादी पार्टी में अंदरुनी कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है. अखिलेश से सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन लिया गया है. वहीं समाजवादी पार्टी यूपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी जाने के तुरंत बाद अखिलेश ने शिवपाल यादव से महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लिया. शिवपाल यादव से पीडब्लयूडी, सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेवारी […]

लखनऊ :समाजवादी पार्टी में अंदरुनी कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है. अखिलेश से सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन लिया गया है. वहीं समाजवादी पार्टी यूपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी जाने के तुरंत बाद अखिलेश ने शिवपाल यादव से महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लिया. शिवपाल यादव से पीडब्लयूडी, सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेवारी वापस ले ली गयी है. अब शिवपाल के पास सिर्फ केवल समाजिक कल्याण मंत्रालय रह गया है.अवधेश प्रसाद को सिंचाई विभाग और बलराम यादव को राजस्व विभाग सौंपा गया.

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार शिवपाल यादव ने कहा है कि इस माहौल में सरकार के साथ काम करना मुश्किल है. वो पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि शिवपाल यादव सपा अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ इस मसले को लेकर बात की है. शिवपाल ने कहा, मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के साथ काम करना मुश्किल है.

उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर मनमुटाव आज बढ़ गया और पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने राज्य इकाई के मुखिया के तौर पर अपने बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जगह अपने भाई और वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव को नियुक्त किया.

सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने शिवपाल सिंह यादव को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘ सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने आपको उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह आशा की जाती है कि आपकी कड़ी मेहनत से पार्टी को और मजबूती मिलेगी.’ इस पत्र की एक प्रति अखिलेश यादव को भी भेजी गई.

अखिलेश के शिवपाल सिंह के करीबी माने जाने वाले राज्य के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटाकर उनकी जगह राहुल भटनागर को नियुक्त करने के कुछ घंटे बाद ही यह कदम उठाया गया. सिंघल ने करीब दो महीने पहले ही मुख्य सचिव का पदभार संभाला था.

अखिलेश और शिवपाल के बीच मतभेद पहले भी कई मौकों पर देखे गए हैं. आलोक रंजन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य के मुख्य सचिव के तौर पर अपनी पसंद के अधिकारी की नियुक्ति और कौमी एकता दल के सपा में विलय को टालना इसमें शामिल है.कौमी एकता दल के मुखिया माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी हैं

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