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अकेले ”PK” के सहारे यूपी में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

नयी दिल्ली/ लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संभावित चेहरे को लेकर चल रही अटकलों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एल पूनिया ने आज कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करेगी और इसका चयन जाति अथवा वर्ग के आधार पर […]

नयी दिल्ली/ लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संभावित चेहरे को लेकर चल रही अटकलों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एल पूनिया ने आज कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करेगी और इसका चयन जाति अथवा वर्ग के आधार पर नहीं, बल्कि उसकी योग्यता और जनता के बीच उसकी स्वीकार्यता के आधार पर होगा साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में गठबंधन की संभावना नहीं है. गौरतलब है कि सूबे में कांग्रेस की जीत सुनिश्‍चित करने के लिए पार्टी ने प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी सौंपी हैं जिन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को जबकि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

राज्यसभा सदस्य पूनिया ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी राज्य में भाजपा को रोकने के लिए सपा बसपा या किसी दूसरे धर्मनिरपेक्ष दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी, बल्कि खुद अकेले दम पर चुनाव लडेगी क्योंकि राज्य के लोग कांग्रेस की सरकार चाहते हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूनिया ने कहा, ‘‘पार्टी मुख्यमंत्री का चेहरा पेश करेगी। अभी यह कहा नहीं जा सकता कि नाम का ऐलान कब होगा क्योंकि अभी चुनाव में समय है. पार्टी आलाकमान सही समय पर नाम तय करेगा।” ऐसी खबरें आई थीं कि कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश में किसी जानेमाने चेहरे खासकर ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले चेहरे को पेश करने पर जोर दे रहे हैं. खबरें यह भी थीं कि पार्टी इस बार चुनाव प्रचार की कमान प्रियंका गांधी को सौंप सकती है.

पिछले दिनों यह भी खबर आई कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम पर भी विचार चल रहा है. यह पूछे जाने पर कि मीडिया की खबरों के अनुसार क्या कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार ब्राह्मण जाति से होगा, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह सब बेकार की बात है. यह मीडिया की मनगढंत कहानी है. हमारी पार्टी जाति या सांप्रदायवाद की विचारधारा में विश्वास नहीं करती है. नेता का चयन योग्यता, उसकी पृष्ठभूमि और जनता के बीच उसकी स्वीकार्यता के आधार पर होगा.”

पूनिया ने कैराना से हिंदू समुदाय के लोगों के कथित पलायन के मामले को लेकर भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘भाजपा केवल सांप्रदायिक राजनीति करती है. समाज चाहे जहां जाए, उसे कोई फर्क नहीं पडता. घृणा फैलाकर वोट मिल जाए, उसका एकमात्र मकसद होता है.” उन्होंने कहा, ‘‘जब हुकूम सिंह :भाजपा नेता: ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर दी थी और आयोग उसकी जांच कर रहा था तो फिर भाजपा को वहां टीम भेजने की क्या जरुरत थी. हुकूम सिंह खुद कह रहे हैं कि यह मामला सांप्रदायिक नहीं है तो फिर ये सब नाटक क्यों क्या किया जा रहा है? दरअसल, ये लोग वहां सांप्रदायिकता की हवा फैलाने चाहते हैं.”

पूनिया ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री विकास की बात करते हैं और भाजपा के उनके नीचे के नेता कैराना और कांधला की बात कर रहे हैं. ये भाजपा की सोची-समझी चाल है. इन्होंने पिछले चुनाव में जो वादे किए थे, अब उस बारे में बात नहीं कर रहे हैं. अब नए वादे कर रहे हैं. इनकी बातें सिर्फ जुमला हैं.” भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दलितों के साथ खाना खाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पूनिया ने कहा, ‘‘यह दलितों का अपमान है. साथ में खाना खाने से इनको राजनीतिक लाभ मिलता नजर आ रहा है, लेकिन दलितों को क्या मिलेगा। कुंभ में सांधु-संतों के साथ जाति के आधार पर स्नान करने चले गए। क्या साधु-संतो की भी जाति होती है?” उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव लडेगी और दूसरी पार्टियों की जातिवादी और सांप्रदायिक राजनीति का पर्दाफाश करेंगे। लोग कांग्रेस की सरकार चाहते हैं.”

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