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मस्जिद के लिए जमीन के मामले पर पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले को अहमियत देगा सुन्नी वक्फ बोर्ड

लखनऊ : उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन ना लेने के मामले पर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कानूनी राय ले रहा है और उसका कहना है कि वह रविवार को लखनऊ में हो रही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में इस […]

लखनऊ : उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन ना लेने के मामले पर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कानूनी राय ले रहा है और उसका कहना है कि वह रविवार को लखनऊ में हो रही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में इस सिलसिले में लिए जाने वाले निर्णय को ‘खास’ अहमियत देगा.

बोर्ड के अध्यक्ष जु़फर फारुकी ने शुक्रवार को कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में जमीन लेने या ना लेने के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के निर्णय को खास अहमियत देगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले में कोई पक्षकार नहीं था मगर वह बेशक देश में मुसलमानों की सर्वमान्य संस्था है, लिहाजा उसके निर्णय को अहमियत देना वाजिब है.

फारूकी ने कहा कि फिलहाल सवाल यह है कि क्या सुन्नी वक्फ बोर्ड मस्जिद निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन लेने से इनकार कर सकता है? ऐसा करना कहीं अदालत की अवमानना तो नहीं होगी? इसके लिए बोर्ड ने कानूनी राय लेना शुरू कर दिया है. उन्होंने एक सवाल पर कहा कि जमीन लेने को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है और उस जमीन पर कोई रचनात्मक काम करके पूरी दुनिया को संदेश देने की मंशा रखने वाले लोगों की तादाद बहुत कम है. बहरहाल, बोर्ड 26 नवंबर को होने वाली अपनी बैठक में इस सिलसिले में कोई फैसला करेगा.

फारूकी ने बताया कि बैठक में आगामी रविवार को नदवा में होने वाली मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में जमीन लेने या ना लेने के सिलसिले में लिए गये फैसले पर भी विचार-विमर्श होगा। इस बीच, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष की रहनुमाई की थी लिहाजा मस्जिद निर्माण के लिए जमीन लेने या ना लेने के बारे में उसके फैसले को सबसे ज्यादा वरीयता दी जानी चाहिए. इस सवाल पर कि अगर जमीन लेने के मामले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की राय अलग-अलग हुई तो उस सूरत में क्या होगा, जीलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में अकेला पक्षकार नहीं था बल्कि उसे मुस्लिम पक्ष का नुमाइंदा मान लिया गया था, लिहाजा इस सिलसिले में सुन्नी बोर्ड अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता.

मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने गत 9 नवंबर को अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में मुसलमानों की तरफ से मुख्य पक्षकार था. सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारुकी का मस्जिद निर्माण के लिए जमीन लेने के मामले पर कहना था कि सकारात्मकता के जरिए ही नकारात्मकता को खत्म किया जा सकता है. मुसलमानों के सबसे बड़े सामाजिक संगठन जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले दी जाने वाली जमीन नहीं लेनी चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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