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यूपीः योगी सरकार का बड़ा फैसला, 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाला

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अन्य पिछड़ा वर्ग को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया है. अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल कहार व कश्यप समेत 17 जातियों को अब अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी हो सकेगा. इस बाबत योगी सरकार ने शासनादेश जारी कर […]

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अन्य पिछड़ा वर्ग को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया है. अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल कहार व कश्यप समेत 17 जातियों को अब अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी हो सकेगा. इस बाबत योगी सरकार ने शासनादेश जारी कर दिया गया है. चूंकि इस संबंध में एक रिट याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जारी प्रमाणपत्र हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होंगे. इन जातियों को सपा शासन में अन्य पिछड़ा वर्ग से अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का निर्णय लिया गया था.

प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह की ओर से इस बाबत सभी कमिश्नर और डीएम को आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस बाबत जारी जनहित याचिका पर पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए. इन जातियों को परीक्षण और सही दस्तावेजों के आधार पर एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए. राज्य सरकार ने यह फैसला कोर्ट के उस आदेश के अनुपालन में जारी किया है जिसमें उसने अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने को कहा था. लंबे समय से इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कई सरकारें भी कर चुकी हैं पर उनको इसमें सफलता नहीं मिल सकी.

कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार ने 17 अन्य पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने का आदेश जारी कर एक तीर से कई शिकार साधने की कोशिश की है. इस आदेश के जरिए भाजपा सरकार अति पिछड़ों में मजबूत घुसपैठ के साथ इन जातियों का 14 फीसदी वोटबैंक साधने की कोशिश में भी हैं. इस आदेश को लोकसभा चुनाव के दौरान अलग हुई सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान की भरपाई का प्रयास भी माना जा रहा है.

इन जातियों को मिलेगा फायदा
उल्लेखनीय है कि बीते दो दशक से 17 अन्य पिछड़ी जातियों कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिशें जारी थी. सपा और बसपा सरकार में भी इसे चुनावी फायदे के लिए अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया पर उनका यह फैसला अमल में नहीं आया. दिसंबर 2016 में पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित इन 17 जातियों को को अनुसूचित जाति में शामिल करने से संबंधित शासनादेश जारी किया गया था.
संबंधित शासनादेश के खिलाफ डॉ. बीआर आम्बेडकर ग्रंथालय एवं जनकल्याण ने हाईकोर्ट, इलाहाबाद में रिट दायर की. इस पर कोर्ट ने अग्रिम आदेश तक स्टे दे दिया था. 29 मार्च 2017 को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस शासनादेश के तहत कोई भी जाति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है तो वो संबंधित रिट याचिका में कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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