लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत कई जिलों में सरकारी बंगलों में काबिज राजनैतिक दल और संस्थाओं की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं. अब सरकार ने इन्हें बाहर करने का फैसला किया है.
अब अनधिकृत तौर कब्जा किये हुए लोगों को इन बंगलों और मकानों को खाली करना होगा. यही नहीं, अभी तक कब्जा जमाये इन लोगों को बाजार भाव से किराया भी देना होगा.
असल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों को खाली करना पड़ा था. इसके बाद से ही सरकारी बंगलों में कब्जा किये राजनैतिक दलों और संस्थाओं को भी खाली कराने के लिए राज्य संपत्ति विभाग ने कवायद शुरू कर दी थी.
विभाग ने इन संस्थाओं और राजनैतिक दलों से बाजार भाव से किराये देने का नोटिस दिया था. लेकिन नोटिस देने के बाद भी कुछ असर नहीं हुआ है. लिहाजा अब कैबिनेट के फैसले के बाद इन दलों और संस्थाओं को अपना कब्जा छोड़ना पड़ेगा.
अब विभाग ने नये नियम तैयार किये हैं और सरकारी भवनों में रहने का मानक न पूरा करने व अनधिकृत तरीके से रहने वाले लोगों, संस्थाओं व राजनीतिक दलों को अब तय प्रक्रिया के तहत बेदखल किया जा सकेगा. अब तक विभाग के भवनों में अनधिकृत तरीके से रहने वालों को निकालने के लिए कोई नियमावली नहीं थी.
प्रभात खबर ने तीन महीने पहले यह खबर प्रकाशित कर दी थी कि अनाधिकृत तौर कब्जा जमाये संस्थाओं और राजनैतिक दलों को सरकारी बंगलों को खाली करना पड़ेगा या फिर बाजार भाव से किराया देना पड़ेगा.
बहरहाल राज्य संपत्ति विभाग के नियंत्रण वाले भवनों में सरकारी, गैर सरकारी संगठनों, राजनीतिक दलों और राजनीतिक दलों की इकाइयों या अग्रणी संगठनों के गैर कानूनी निवासियों या गैर सरकारी व्यक्तियों (पत्रकार भी शामिल) की बेदखली करने की नियमावली को मंजूरी मिल गयी है.
असल में तमाम संगठन अनधिकृत तरीके से राज्य संपत्ति के भवनों में कार्यालय चला रहे हैं. कई राजनीतिक व सामाजिक संगठन जिस मानक के भवन में हैं, पर उसका मानक पूरा नहीं करते हैं, इसके बावजूद कब्जा जमाये हैं.
कई क्षेत्रीय व पंजीकृत दल, राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की तरह बड़े-बड़े भवनों में काबिज हैं. मुख्य संगठन के अलावा फ्रंटल संगठनों के लिए बड़े-बड़े भवन में कब्जा जमाए हुए हैं.
कोई नियमावली न होने से इनसे खाली कराने में तमाम कानूनी दांवपेंच की आशंका रहती है. नियमावली बनने से सरकार तय व्यवस्था से अब ऐसे लोगों को आसानी से बेदखल कर सकेगी.