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यूपी : राज्यसभा चुनाव के बाद भाजपा की नजर अब विधान परिषद पर

हरीश तिवारी लखनऊ: राज्यसभा की नौं सीटें जीतने के बाद राज्य की सत्ताधारी भाजपा ने अब विधान परिषद की खाली हो रही सीटों की जीतने की तैयारी में जुट गयी है. इस चुनाव में विधायकों की संख्या बल को देखते हुए भाजपा आसानी से नौ सीटें जीत सकती है. जबकि दो सीटें विपक्ष जीत सकता […]

हरीश तिवारी

लखनऊ: राज्यसभा की नौं सीटें जीतने के बाद राज्य की सत्ताधारी भाजपा ने अब विधान परिषद की खाली हो रही सीटों की जीतने की तैयारी में जुट गयी है. इस चुनाव में विधायकों की संख्या बल को देखते हुए भाजपा आसानी से नौ सीटें जीत सकती है. जबकि दो सीटें विपक्ष जीत सकता है. लेकिन, राज्यसभा चुनाव की तरह एक सीट के लिए भाजपा और विपक्ष के बीच फिर से मुकाबला होने के आसार हैं.

भारतीय जनता पार्टी की निगाहें राज्य में 5 मई को खाली हो रही विधानपरिषद की 12 सीटों पर लग गयी हैं. इनमें से नौ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत तय है. यहां विधानपरिषद चुनाव अप्रैल में होना है. फिलहाल, राज्यसभा चुनाव में अपने सभी नौ उम्मीदवारों को जिताने के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं. पार्टी अब यूपी विधानपरिषद चुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित करने जा रही है. लिहाजा इस चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठजोड़ की अग्नि परीक्षा होगी.

विधानपरिषद की खाली होने जा रही सीटों में प्रदेश सरकार में मंत्री डा. महेन्द्र सिंह, मोहसिन रजा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रालोद के एकमात्र सदस्य चौधरी मुश्ताक अहमद आदि की सीटें शामिल हैं. प्रदेश में इस समय कुल 402 विधायक हैं. विधान परिषद उम्मीदवार को जीत के लिए 33 वोटों की जरूरत होगी. भाजपा के 324 विधायक हैं. इनके अलावा भाजपा के पास सपा के नितिन अग्रवाल, बसपा के अनिल सिंह, निर्दल अमन मणि, निषाद पार्टी के विजय मिश्रा, रालोद के सहेन्द्र सिंह चौहान रमाला का भी मत है.

इन पांच लोगों के अलावा कुछ मतों को और जोड़ लिया जाये, तो यह संख्या बढ़कर 329 से आगे पहुंच जायेगी. ऐसे में भाजपा की नौ सीटों पर जीत पक्की है, लेकिन 10वीं सीट पर जीत की राह कठिन हो सकती है. ऐसे में भाजपा की निगाह फिर से सपा, बसपा और कांग्रेस पर है. दूसरी तरफ यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ चुनाव लड़ते हैं, तो दोनों की एक-एक सीट पर जीत पक्की हो सकती हैं. वर्तमान में सपा के 46 विधायक हैं. इससे सपा के एक प्रत्याशी की जीत पक्की है. इसके बाद उसके पास 13 विधायकों के वोट बचेंगे.

इसी तरह बसपा के पास विधायक अनिल सिंह के अलावा 18 और कांग्रेस के पास 7 वोट हैं. इस तरह देखा जाये तो विपक्षी दलों के गठजोड़ के पास 38 वोट होंगे. ये वोट बसपा को एक सीट पर विजय दिलाने के लिए पर्याप्त हैं अगर वे एक होकर लड़े. पार्टी से कौन-कौन प्रत्याशी होंगे, यह अभी तय नहीं है. फिलहाल सरगर्मियां तेज हैं. भाजपा के दो मंत्रियों का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है, लिहाजा पार्टी सबसे पहले इन्हीं दो प्रत्याशियों को परिषद में भेजेगी. परिषद के चुनाव में भाजपा कुछ नये चेहरों को भी उतार सकती है. जिनको मंत्रिमंडल विस्तार में सरकार में शामिल किया जा सके.

विधान परिषद में हो रहा है इनका कार्यकाल पूरा
1. अखिलेश यादव (सपा)
2. अम्बिका चौधरी (सपा से बसपा)
3. उमर अली खान (सपा)
4. नरेश चंद्र उत्तम (सपा)
5. मोहसिन रजा (भाजपा, मंत्री)
6. डा. महेन्द्र कुमार सिंह (भाजपा, मंत्री)
7. चौधरी मुश्ताक (रालोद)
8. राजेन्द्र चौधरी (सपा)
9. राम सकल गुर्जर (सपा)
10. डा. विजय यादव (सपा)
11. डा. विजय प्रताप (बसपा)
12. सुनील चित्तौड़ (बसपा)

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Prabhat Khabar Digital Desk
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