कासगंज : उत्तर प्रदेश सरकार ने कासगंज हिंसा का शिकार हुए युवक के परिजनों को 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है. प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी गृह ने बताया कि 20 लाख रुपये का चेक मृतक के परिजनों को उनके घर पर सोमवार को सौंपा जायेगा. मालूम हो कि गणतंत्र दिवस की सुबह कासगंज में ‘वंदेमातरम’और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए हाथों में तिरंगा लिये कुछ युवा बाइक पर जुलूस निकाल रहे थे. अल्पसंख्यक क्षेत्र बड्डूनगर में जुलूस के पहुंचते ही कुछ उपद्रवी तत्वों ने जुलूस पर पथराव करते हुए फायरिंग कर दी. इसमें दो युवक अभिषेक गुप्ता उर्फ चंदन एवं नौशाद घायल हो गये. घायल चंदन को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गयी.
CM Yogi Adityanath has granted a compensation of Rs 20 Lakh to the bereaved parents of Chandan Abhishek which will be disbursed tomorrow in Kasganj: Principal Secretary Home #KasganjClashes
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 28, 2018
इससे पहले, कासगंज में दो समुदायों के बीच हिंसा के बाद इलाके में तनाव अब भी बरकरार है. पुलिस ने इस मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया है. हिंसा भड़कने के तीसरे दिन अराजक तत्वों ने एक दुकान में आग लगा दी. हालांकि, स्थिति पर जल्द ही काबू पा लिया गया. पुलिस का दावा है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लिहाजा अब कर्फ्यू लागू नहीं किया गया है. इलाके पर ड्रोन कैमरों की मदद से नजर रखी जा रही है. पुलिस द्वारा बयान के मुताबिक, कासगंज हिंसा मामले में अब तक कुल 112 लोग गिरफ्तार किये गये हैं. इनमें से 31 अभियुक्त हैं, जबकि 81 अन्य को एहतियातन गिरफ्तार किया गया है. हिंसा के मामले में अब तक पांच मुकदमे दर्ज किये गये हैं. इनमें से तीन कासगंज के कोतवाल की तहरीर पर पंजीकृत हुए हैं.
पुलिस महानिरीक्षक अलीगढ़ जोन संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि शहर के नदरई गेट इलाके के बाकनेर पुल के पास रविवार को एक गुमटी में आग लगा दी गयी. हालांकि, पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए हालात को जल्दी काबू कर लिया. नामजद आरोपितों के घरों पर दबिश दी जा रही है. इस दौरान कुछ हथियार बरामद किये गये हैं. पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा कि हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की तामील की जायेगी. घर-घर में तलाशी ली जा रही है. कुछ जगहों पर विस्फोटक तत्व बरामद हो रहे हैं.
इस बीच, हालात के मद्देनजर कासगंज में शांति समिति की बैठक आयोजित की गयी. आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक अजय आनंद ने बैठक के बाद बातचीत में दावा किया कि शहर में डर का माहौल नहीं है. पुलिस ने वारदात पर रोक लगायी है और घटनाओं में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जायेगा. ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है. जब तक ऐसा आखिरी व्यक्ति नहीं पकड़ लिया जाता, तब तक हमारा अभियान जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि शांति समिति की बैठक में शहर के गणमान्य लोग शामिल थे और बैठक में तय किया गया कि सभी दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें खोलेंगे. बैठक में हिस्सा लेनेवाले आगरा के मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने कहा कि बैठक के दौरान सभी पक्षों ने अपना-अपना नजरिया पेश किया और मौजूदा हालात को लेकर अपनी चिंता जाहिर की. प्रशासन ने उनकी हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. बैठक में शामिल लोगों से अपने-अपने इलाकों में निगरानी रखने को कहा गया है. शर्मा ने कहा कि दुकानदारों से कहा गया है कि वे अपने-अपने प्रतिष्ठान खोलें. प्रशासन सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. दुकानें खुलेंगी तो हालात धीरे-धीरे सामान्य हो जायेंगे. जिला प्रशासन वीडियो फुटेज के आधार पर उपद्रवियों को चिह्नित कर रहा है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कासगंज में हुई घटना को दुखद बताते हुए इसकी निंदा की. उन्होंने कहा कि जो लोग भी इसके लिए दोषी हैं, उनमें से एक भी व्यक्ति नहीं बख्शा जायेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद हालात की समीक्षा की है. अपराधी चाहे जितना बड़ा या प्रभावशाली हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. अब हमारे पास कड़े कानून आ गये हैं. यह गड़बड़ी करनेवालों के लिये चेतावनी भी है. कुछ लोग लूटपाट कराने और आपसी मतभेद कराने कोशिश कर रहे हैं. दंगे करनेवालों के साथ-साथ फसाद की साजिश करने वाले भी दंडित होंगे.
इस बीच, बसपा अध्यक्ष मायावती ने कासगंज में हुए उपद्रव का जिक्र करते हुए कहा कि सूबे में जंगलराज है. इसका ताजा उदाहरण कासगंज की घटना है, जहां हिंसा की आग अब भी शांत नहीं हुई है. बसपा इसकी कड़ी निंदा के साथ-साथ दोषियों को सख्त सजा देने की मांग करती है. उन्होंने कहा कि खासकर भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा महाराष्ट्र आदि में अपराध-नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ जनहित तथा विकास का बुरा हाल है. इससे यह साबित होता है कि भाजपा एंड कंपनी का हर स्तर पर घोर अपराधीकरण हो गया है. सपा उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कासगंज की घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि हमेशा चुनाव के पहले दंगा होता है. मुजफ्फरनगर में भी लोकसभा चुनाव से पहले दंगा हुआ था. कासगंज में भी दंगा हुआ. चुनाव से पहले ही क्यों दंगा होता है. इसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए.
मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, बजरंग दल समेत विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा कासगंज के बड्डूनगर में मोटरसाइकिल रैली निकाले जाने के दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव और गोलीबारी हुई थी, जिसमें एक युवक की मौत हो गयी थी तथा एक अन्य जख्मी हो गया था. वारदात के दूसरे दिन भी शहर में हिंसा जारी रही. उपद्रवियों ने तीन दुकानों, दो निजी बसों और एक कार को आग के हवाले कर दिया था. प्रशासन ने रविवार रात दस बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थी, ताकि सोशल मीडिया के जरिये फैलनेवाली अफवाहों को रोका जा सके. रैपिड एक्शन फोर्स और पीएसी के जवान लगातार चैकसी कर रहे हैं. जिले की सीमाएं सील कर दी गयी हैं, ताकि शांति भंग करने का प्रयास करनेवालों को शहर में प्रवेश से रोका जा सके. आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक, अलीगढ़ के मंडलायुक्त, अलीगढ़ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक लगातार मौके पर हैं.