23.5 C
Ranchi
Advertisement

“27 साल का इंतजार, अब कुर्क होगा डीआईओएस दफ्तर!”

BASTI NEWS: बस्ती में 27 वर्षों से वेतन न मिलने पर शिक्षक चंद्रशेखर सिंह की याचिका पर अदालत ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की भूमि कुर्क करने का आदेश दिया है. बार-बार कहने के बावजूद न्यायिक आदेशों की अवहेलना के चलते यह कार्रवाई तय हुई है. विभाग में हड़कंप मच गया है.

BASTI NEWS: उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग की लापरवाही और न्यायिक आदेशों की अनदेखी के चलते बस्ती जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय की संपत्ति पर अब कुर्की की कार्रवाई की जाएगी. यह ऐतिहासिक आदेश एक शिक्षक चंद्रशेखर सिंह की याचिका पर दिया गया है, जिन्हें पिछले 27 वर्षों से उनका बकाया वेतन नहीं दिया गया था. न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर निर्धारित तिथि तक भुगतान नहीं होता है, तो डीआईओएस कार्यालय की जमीन कुर्क कर नीलाम की जाएगी.

क्या था मामला?

अयोध्या जनपद के सोहावल निवासी चंद्रशेखर सिंह को वर्ष 1991 में बस्ती जिले के हर्रैया तहसील स्थित ‘नेशनल इंटर कॉलेज’ में अर्थशास्त्र प्रवक्ता के पद पर नियुक्त किया गया था. यह नियुक्ति विधिवत प्रक्रिया के तहत हुई थी और उस समय विद्यालय प्रबंध समिति तथा डीआईओएस कार्यालय दोनों की स्वीकृति प्राप्त थी.

हालांकि, नियुक्ति के बाद विद्यालय प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बीच प्रशासनिक खींचतान के कारण चंद्रशेखर सिंह को वेतन का भुगतान नहीं किया गया. इतना ही नहीं, उनके साथ नियुक्त अन्य पांच शिक्षकों को बाद में नियमित कर वेतन दिया गया, लेकिन चंद्रशेखर सिंह को लगातार नजरअंदाज किया गया. जब लगातार अनुरोध और विभागीय पत्राचार के बावजूद भी वेतन नहीं मिला, तो उन्होंने वर्ष 1998 में सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया.

न्यायिक प्रक्रिया और अदालत का आदेश

लगभग सात वर्षों तक चली सुनवाई के बाद 24 जनवरी 2005 को अदालत ने चंद्रशेखर सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए शासन और डीआईओएस को 14,38,104 रुपये के बकाया वेतन के साथ-साथ भविष्य में नियमित वेतन भुगतान का आदेश दिया. लेकिन इस आदेश का पालन भी नहीं हुआ. मजबूर होकर चंद्रशेखर सिंह ने 26 मई 2005 को इजरा वाद दाखिल किया.

इसके बाद डीआईओएस कार्यालय ने इस निर्णय को जिला जज की अदालत में चुनौती दी, लेकिन वहां भी याचिका खारिज हो गई. डीआईओएस ने फिर उच्च न्यायालय का रुख किया, जहां से भी राहत नहीं मिली. तमाम न्यायिक रास्ते बंद होने के बाद भी जब आदेशों का पालन नहीं हुआ, तो चंद्रशेखर सिंह ने पुनः अदालत की शरण ली.

अब सिविल जज जूनियर डिवीजन सोनाली मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की भूमि को कुर्क करने का आदेश दे दिया है. आदेश में अमीन रजवंत सिंह को 8 मई 2025 तक कुर्की की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

प्रशासनिक हलचल और विभागीय असर

इस आदेश से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. बस्ती जिले के अधिकारियों में बेचैनी है क्योंकि कुर्की की कार्रवाई विभाग की बड़ी असफलता के रूप में देखी जा रही है. यह मामला स्पष्ट करता है कि वर्षों तक एक कर्मचारी को उसके मौलिक अधिकार से वंचित रखा गया. विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता, उदासीनता और न्यायालय के आदेशों की अनदेखी ने शासन की छवि को गहरा आघात पहुंचाया है.

शिक्षक की पीड़ा और संघर्ष

चंद्रशेखर सिंह की यह लड़ाई केवल वेतन की नहीं, बल्कि अपने सम्मान और अधिकार की है. 1991 से लेकर 2025 तक उन्होंने हर कानूनी रास्ता अपनाया, पत्राचार किया, अदालतों के चक्कर काटे, लेकिन सिस्टम की उदासीनता ने उन्हें न्याय के लिए लंबा इंतजार करवाया. उनका यह संघर्ष देशभर के शिक्षकों के लिए मिसाल बन चुका है.

सरकारी तंत्र की लापरवाही

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी तंत्र की लापरवाही कैसे एक शिक्षक के जीवन को प्रभावित कर सकती है. चंद्रशेखर सिंह को अब जाकर न्याय मिला है, लेकिन यह न्याय बहुत देर से आया. अदालत द्वारा डीआईओएस कार्यालय की कुर्की का आदेश न सिर्फ प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि यह उदाहरण भी है कि किसी भी सरकारी अधिकारी को न्यायालय की अवमानना का अधिकार नहीं है. अब पूरा प्रदेश इस मामले पर निगाहें लगाए बैठा है कि शिक्षा विभाग आगे क्या कदम उठाता है. क्या तय समय तक वेतन भुगतान होगा या वास्तव में डीआईओएस कार्यालय की जमीन की कुर्की होगी यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel