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UP Power Cut: बीजेपी एमएलसी ने ऊर्जा मंत्री से मांगी क्षेत्र के लिये बिजली, लेटर हुआ वायरल

यूपी की जनता गर्मी से बेहाल है. पारा 44-45 डिग्री पार हो जाने के बावजूद भी घंटो बिजली कटौती हो रही है. गांवों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है. वहां 6 से 8 घंटे बिजली कटौती हो रही है. बिजली की बढ़ती मांग और लोड के कारण ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं. लेकिन उनकी भी मरम्मत नहीं हो रही है.

Lucknow: शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी की तपन अब ऊर्जा मंत्री और सरकार तक पहुंचने लगी है. बीजेपी के एमएलसी व उद्यान राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिये बिजली देने की मांग की है. हालांकि ऊर्जा मंत्री को लिखा पत्र दो सप्ताह पुराना है, लेकिन वह उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था की बदहाली की कहानी कहने के लिये काफी है.

उद्यान राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने पत्र में लिखा है कि उनके विधान परिषद क्षेत्र रायबरेली में विद्युत आपूर्ति में अधिक कटौती व अत्यधिक गर्मी होने के कारण आम जनमानस को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस कटौती से विधानसभा हरचंदपुर ज्यादा प्रभावित है. इसलिए अनुरोध है कि जनहित में रायबरेली की बिजली आपूर्ति पूर्व की तरह जारी रखने की कृपा करें.

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गांवों में 6 से 8 घंटे कटौती

बढ़ती गर्मी से उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है. यूपी पावर कॉर्पोरेशन की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार रात तहसील मुख्यालयों और नगर पंचायतों में 6-6 घंटे, गांवों में 8 घंटे, बुंदेलखंड लगभग 7 घंटे बिजली कटौती की गयी. ऊर्जा विभाग की मानें तो यूपी में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयां ठप हो गयी हैं. इससे बिजली की उपलब्धता में कमी आ गयी है. केंद्र की भी कई इकाईयां बंद होने से यूपी को उसकी जरूरत के अनुसार कोटा नहीं मिल पा रहा है.

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यूपी में थर्मल पॉवर इकाइयों को कोयले की कमी भी भारी पड़ रही है. इस कमी से इकाइयां पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं. प्रदेश के बिजली घरों के लिए रोजाना 87900 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, जबकि 61000 मीट्रिक टन ही कोयला मिल पा रहा है. अनपरा में छह, ओबरा व हरदुआगंज में 4-4 दिन और पारीछा में एक दिन का कोयला बचा था.

यूपी में कई इकाइयां बंद

यूपी में राज्य विद्युत उत्पादन निगम को अप्रैल माह में 28 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन नुकसान हुआ है. वर्तमान में मेजा, बारा, हरदुआगंज व ललितपुर की 660-660 मेगावाट की एक-एक, हरदुआगंज की 250 मेगावाट, ओबरा की 200 मेगावाट, अनपरा की 210 मेगावाट, बजाज हिंदुस्तान की 315 मेगावाट क्षमता की इकाइयां बंद हैं.

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 22 हजार मेगावाट से ज्यादा हो गयी है. जबकि यहां आपूर्ति 19250 मेगावाट है. ग्रिड से भी यूपी को अतिरिक्त् बिजली नहीं मिल रही है, क्योंकि पूरी भारत में बिजली की मांग बढ़ गयी है.

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