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Ghazipur vidhansabha chunav 2022: गाजीपुर के 7 विधानसभा सीट पर मतदान संपन्न, शाम 5 बजे तक 53.67% वोटिंग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. यहां छह चरणों में चुनाव हो चुका है. जिसके बाद आज सातवें चरण में मतदान समाप्त हो गया है. गाजीपुर की 7 विधानसभा सीटों मतदान के हर अपडेट को जाननें के लिए बने रहे प्रभात खबर के साथ...

Ghazipur vidhansabha chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. यहां छह चरणों में चुनाव हो चुका है. जिसके बाद आज सातवें चरण में मतदान संपन्न हो गया है. गाजीपुर की 7 विधानसभा सीटों मतदान के हर अपडेट को जाननें के लिए बने रहे प्रभात खबर के साथ…

गाजीपुर जिले की विधानसभा सीटें

  • जखानिया (सु)

  • सैदपुर (सु)

  • ग़ाज़ीपुर सदर

  • जंगीपुर

  • जहूराबाद

  • मोहम्मदाबाद

  • जमनिया

यूपी चुनाव में गाजीपुर की सीटों की बात करें तो इसमें गाजीपुर सदर सामाजिक समरसता के लिए जानी जाती है. चुनावी समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर सबसे ज्यादा कांग्रेस को सफलता मिली है. 2017 में गाजीपुर से बीजेपी ने दर्ज की. गाजीपुर की सीमा बिहार से लगी है. यहां के स्थानीय लोगों के बीच भोजपुरी भाषा बोली जाती है. वर्तमान में यूपी सरकार में राज्यमंत्री डॉ. संगीता बलवंत गाजीपुर की विधानसभा सीट के गाजीपुर सदर से विधायक हैं. इससे पहले वो छात्रसंघ अध्यक्ष रही हैं. यह विधानसभा सीट गाजीपुर जिले की मुख्यालय सीट है.

गाजीपुर सदर का सियासी इतिहास

  • 2017- संगीता बलवंत- भाजपा

  • 2012- विजय कुमार मिश्रा- सपा

  • 2007- सैयदा शादाब फातिमा- सपा

  • 2002- उमाशंकर- बसपा

  • 1996- राजेन्द्र- भाकपा

  • 1991- उदय प्रताप- भाजपा

  • 1989- खुर्शीद- आईएनडी

गाजीपुर सदर की जातिगत आंकड़े

  • यादव, बिंद और दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं.

  • मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों भी ज्यादा हैं.

  • ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा, राजभर और मल्लाह गेमचेंजर हैं.

गाजीपुर विधानसभा में मतदाता

  • कुल मतदाता- 3,62,226

  • पुरुष- 1,89,819

  • महिला- 1,72,183

  • थर्ड जेंडर- 22

जखनियां विधानसभा सीट

गाजीपुर की जखनियां विधानसभा सीट की बात करें तो अभी तक यहां बीजेपी ने एक बार भी जीत दर्ज नहीं की. यहां पर जब भी चुनावी भिड़ंत हुई है तो बस सपा और बसपा के बीच में हुई है. 2017 के भी विधानसभा चुनाव में भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के गठबंधन के उम्मीदवार त्रिवेणी राम विधायक चुने गए थे. लेक‍िन, इस सीट के राजनीत‍िक इत‍िहास में बीजेपी का नाम तकरीबन गायब ही है.

सैदपुर विधानसभा सीट

गाजीपुर विधानसभा में सैदपुर सीट के चुनावी समीकरण की बात करें तो पिछले दो बार के चुनाव में सपा का पलड़ा भारी पड़ रहा है. यहां की सीट पर सपा के सुभाष पासी ने 2012 और 2017 में दोनो बार जीत का डंका बजाया है. यहां बीजेपी के दो-दो कद्दावर नेताओं का पैतृक आवास है. मगर, आश्चर्य कि बात यह है कि बीजेपी यहां अपना चुनावी जंग जीत नहीं पा रही हैं. सिर्फ सपा और बसपा ही यहां जीत का जश्न मना पा रही हैं. इन्हीं दो दलों ने यहां की सीटों पर कब्जा किया हुआ है. 1996 के बाद से बीजेपी ने यहां एक भी खाता नहीं खोला है.

जंगीपुर विधानसभा सीट

गाजीपुर विधानसभा जिले में जंगीपुर सीट अपना विशेष महत्व रखती है. यहां 2017 के चुनाव में सपा ने अपनी विजय पताका फहराया था. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद यहां सपा का वर्चस्व रहा है. चुनावी जंग में यहां सपा और बसपा के ही बीच में भिड़ंत होती रहती है. 2017 में सपा के वीरेंद्र यादव 71 हजार मत पाकर विजयी हुए.

जहूराबाद विधानसभा सीट

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. यहां से 2017 के चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने जीत दर्ज की थी. यहीं से जीत दर्ज करने के बाद ओमप्रकाश राजभर विधानसभा पहुंचे थे. जहूराबाद विधानसभा सीट बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि बीजेपी से नाराज हुए ओमप्रकाश राजभर ने यहां से उनके खिलाफ बिगुल फूंका हुआ है.

मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट

गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाला क्षेत्र है. उप राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी और इस समय जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा भी इसी इलाके से आते हैं. यह सीट अपने राजनीतिक वर्चस्व की वजह से प्रसिद्ध है. यहां की सीट पर मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी के परिवार का सात बार कब्जा रहा है. इस समय बीजेपी की अलका राय विधायक हैं.

जमानियां विधानसभा सीट

गाजीपुर की जमानियां को धान का कटोरा कहा जाता है. यह क्षेत्र कृषि प्रधान है. एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर जमानियां में आता है. गहमर में ही शक्ति स्वरूपा मां कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसकी स्थापना 1530 में सिकरवार वंश के राजपूतों ने खानवा युद्ध के बाद फतेहपुर सीकरी से आकर कुल देवी के रूप में की थी.

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