Vidhansabha News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मिले बुरे परिणामों का प्रभाव अब कांग्रेस और बसपा के विधानभवन में मौजूद कार्यालयों पर भी पड़ सकता है. दरअसल, विधानभवन में सभी राजनीतिक दलों को उनके विधायकों की संख्या के आधार पर कार्यालय का आवंटन किया जाता है. इस वजह से साल 2022 के चुनावी रण में बसपा और कांग्रेस के विधायकों की घटी संख्या का प्रभाव अब उनके कार्यालय आवंटन पर भी देखने को मिल सकता है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर अब विधानभवन में स्थित राजनीतिक दलों के कार्यालयों के आवंटन पर भी पड़ना तय है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणामों में कांग्रेस को 2 और बसपा को 1 सीट मिली है. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को 8 सीट मिली हैं. ऐसे में रालोद को कार्यालय का आवंटन बड़ा मिल सकता है. अहम बात तो यह है कि इस बार कई छोटे दलों ने कांग्रेस और बसपा के मुकाबले ज्यादा सीट हासिल की हैं. ऐसे में उनका कार्यालय बड़ा होने का रास्ता साफ हो चुका है.
क्या कहता है विधानसभा का नियम?
नियम के मुताबिक, विधानसभा के नियमानुसार ज्यादा विधायकों वाले दल को बड़े कार्यालय आवंटित होते हैं. जिन दलों के विधायकों की संख्या बहुत कम होती है, उन पर विधानसभा अध्यक्ष अपने विवेक से निर्णय लेते हैं. न्यूनतम संख्या के बारे में फिलहाल कोई नियम प्रचलन में नहीं है.
रालोद को 2017 में नहीं मिला था कार्यालय
बता दें कि इस बार चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के 8 विधायक जीते हैं. 2017 में उसके पास एक ही विधायक थे. इसलिए कार्यालय आवंटित नहीं हुआ था. रालोद के अतिरिक्त 6 विधायक वाली निषाद पार्टी को भी नया कार्यालय आवंटित होगा. बसपा व कांग्रेस को संभवत: छोटा कार्यालय आवंटित किया जा सकता है. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को भी इसी आधार पर कार्यालय आवंटित किया जा सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद सुभासपा व अपना दल (सोनेलाल) को कार्यालय आवंटित किया गया था. यह इस बार भी बरकरार रहने की पूरी गुंजाइश है.