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Gyanvapi: महिला पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल बोले- मिल गए नंदी वाले बाबा; 1868 में लिखी बुक में भी है दावा

वाराणसी कोर्ट के सूत्रों के हवाले से यह बात चली है कि दूसरे दिन के सर्वे में ही पन्ना पत्थर का एक टुकड़ा या आकृति दिखाई दी थी. हालांकि, मलबा ज्यादा होने से कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका. कई इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का भी मानना है कि विश्वेश्वर महादेव का शिवलिंग पन्ना पत्थर का बना हुआ है.

Gyanvapi Survey Shivling News: वाराणसी में सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान बेशकीमती पन्ना पत्थर वाला शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है. सर्वे का काम समाप्त होने के बाद महिला पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल ने यह बयान दिया कि नंदी वाले बाबा मिल गए हैं. इससे ज्यादा उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. हिंदू पक्ष का कहना है कि जो भी आज मिला वह सत्य को सामने ला रहा है.

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1585 में स्थापित कराया था

वहीं, वाराणसी कोर्ट के सूत्रों के हवाले से यह बात चली है कि दूसरे दिन के सर्वे में ही पन्ना पत्थर का एक टुकड़ा या आकृति दिखाई दी थी. हालांकि, मलबा ज्यादा होने से कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका. कई इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का भी मानना है कि विश्वेश्वर महादेव का शिवलिंग पन्ना पत्थर का बना हुआ है. यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने बनारस के पंडित नारायण भट्ट के साथ 1585 में स्थापित कराया था. इस शिवलिंग का रंग हरा है और इसके ऊपर का कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था.

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विशालकाय शिवलिंग का रंग है हरा

परिसर के अंदर सर्वे टीम को शिवलिंग मिला है. यह बात सामने आने के बाद वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया है कि जिस जगह शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल सील कर दें. वहां पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाए. कोर्ट ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को यह आदेश दिया है. कोर्ट ने इन अधिकारियों को जगहों को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है. हिंदू पक्ष का दावा है कि नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है, उसी के अंदर मस्जिद के मध्‍य में शिवलिंग दबा है. पन्ना पत्थर से बने इस विशालकाय शिवलिंग का रंग हरा है. वहीं, अरघा भी काफी बड़ा है. सूत्रों का कहना है कि इस शिवलिंग की साइज करीब 2 मीटर है और यह काफी आकर्षक नजर आ रहा है. यह शिवलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है.

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तहखाना नहीं मंडपम कहें…

साल 1868 में रेव एमए शेरिंग द्वारा लिखित ‘द सेक्रेड सिटी ऑफ हिंदू’ किताब में बताया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे चारों कोनों पर मंडपम हैं. ज्ञान मंडपम, श्रृंगार मंडपम, ऐश्वर्य मंडपम और मुक्ति मंडपम. विदेशी लेखक अल्टेकर ने इन चारों मंडपम की साइज 16-16 फीट की बताई है. गोलंबर की ऊंचाई 128 फीट है. श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में जिसे तहखाना कहा जा रहा है वह असलियत में मंदिर मंडपम है. जो लोग भी तहखानों की बात कर रहे हैं, वे सभी मंडपम हैं. इन्हें तहखाना के बजाय मंडपम कहें तो बेहतर होगा. डॉ. तिवारी ने बताया कि उनके परिवार के पंडित नारायण भट्ट ने पन्ना का शिवलिंग स्थापित कराया था. 90 के दशक में वाराणसी के डीएम रहे सौरभ चंद्र श्रीवास्तव ने तब मंडपम में ताला बंद कराया था तो उस समय भी अंदर की फोटोग्राफी हुई थी, जिसमें वह शामिल थे. उस समय देखा था कि अंदर नंदी के ठीक सामने ही शिवलिंग है.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

Prabhat Khabar News Desk
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