उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एल-2 और एल-3 कोविड अस्पतालों के पृथक-वास वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रतिबंध का फैसला वापस ले लिया है. समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, अपर मुख्य सचिव ( गृह एवं सूचना ) अवनीश कुमार अवस्थी ने रविवार को बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पृथक-वास वार्ड में भर्ती रोगियों के लिए मोबाइल फोन की व्यवस्था से संबंधित आदेश जारी किया है. अवस्थी ने कहा कि ” जो भी रोगी पृथक-वास वार्ड में जाएगा, उसे पहले अपने मोबाइल और चार्जर की जानकारी देनी होगी.उसे बताना होगा कि उसका चार्जर और मोबाइल कहां है और उसे अपना मोबाइल नंबर भी बताना होगा.उन्होंने बताया कि वार्ड में जाने से पहले उसका चार्जर और मोबाइल फोन को संक्रमणमुक्त किया जाएगा ताकि संक्रमण का विस्तार नहीं हो. ”
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रोगी अपने चार्जर और मोबाइल दोनों चीजों को अपने पास ही रखेगा : अपर मुख्य सचिव
अवस्थी ने कहा, ”रोगी अपने चार्जर और मोबाइल दोनों चीजों को अपने पास ही रखेगा. किसी स्वास्थ्यकर्मी या अपने किसी साथी को उन्हें यह नहीं देगा. इस दौरान रोगी जब भी वार्ड से बाहर आएगा, उसका चार्जर और मोबाइल फोन फिर से संक्रमणमुक्त किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि रोगी के पास जो भी सामग्री होगी, उसे संक्रमणमुक्त करने के आदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जारी कर दिये हैं.
पृथक-वास वार्ड में मरीजों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर लगा दी गई थी रोक :
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एल-2 और एल-3 कोविड अस्पतालों के पृथक-वास वार्ड में मरीजों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी.चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ. के के गुप्ता ने सभी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को आदेश जारी किया था और कहा था कि मोबाइल से संक्रमण फैलता है. जिसके कारण निर्देश दिया गया था कि कोविड अस्पताल के प्रभारी को दो मोबाइल फोन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि भर्ती मरीज अपने परिजनों से और परिजन अपने मरीज से बात कर सकें.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किया था ट्वीट :
इसपर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट भी किया था, और लिखा कि ”अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो पृथक-वास वार्ड के साथ पूरे देश में इसे प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.”उन्होंने कहा, ”यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए यह पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल पर पाबंदी की नहीं, बल्कि संक्रमणमुक्ति की है.
अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 24, 2020