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जिला जेल से रिहा हुए 65 बंदियों ने खुली हवा में ली सांस, घर के लिए पैदल नापे कदम

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और खतरे को देखते हुए लॉकडाउन के बाद जेल में विचाराधीन बंदियों को भी चिंता होने लगी थी, जिसकों लेकर रिहा किया गया.

कानपुर. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और खतरे को देखते हुए लॉकडाउन के बाद जेल में विचाराधीन बंदियों को भी चिंता होने लगी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जेल से विचाराधीन बंदियों को छोड़ने का आदेश देते हुए शर्त रखी थी. इसमें संबंधित ऐसे मामले शामिल थे, जिसमें सात साल या इससे कम सजा का प्रावधान था. शासन से निर्देश मिलने के बाद जिला जेल से 88 बंदी व कैदी रिहा करने की अनुमित मिली थी, जिसमें दोपहर तक कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 65 बंदियाें को रिहा किया गया.रिहाई के 99 प्रस्तावों पर आठ हुए निरस्त, तीन में था दोहरावजेल अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि शासन के निर्देश पर 273 विचाराधीन बंदी व 70 कैदियों को जेल से छोड़ने के लिए प्रस्ताव कारागार मुख्यालय को भेजा गया था.

जेल मुख्यालय ने इनमें से 99 प्रस्तावों पर हरी झंडी देते हुए विशेष समिति को फैसला लेने के लिए निर्देशित किया था. दिन भर चली बैठक के बाद 99 प्रस्तावों में से आठ को समिति ने निरस्त कर दिया. तीन प्रस्ताव ऐसे थे, जोकि दो बार चले गये थे. इस तरह विशेष समिति ने मंगलवार को कुल मिलाकर 88 बंदी व कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. मंगलवार को दोपहर तक कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 65 बंदियों को रिहा किया गया है.

गेट पर नहीं था कोई अपनाअक्सर जेल से रिहाई के समय घर वाले गेट के बाहर खड़े होकर अपनों का इंतजार करते हैं लेकिन मंगलवार को जेल से 65 बंदी बाहर आये लेकिन उन्हें लेने आने वाला काेई नहीं था. कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन में बंदी जेल से बाहर आये तो खुली हवा में लंबी सांस ली. अपना सामान लेकर गेट से बाहर आये बंदियों ने घर की राह पकड़ी. लाॅकडाउन में कोई साधन न मिलने पर पैदल ही घर जाने की बात कही.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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