36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संदेशखाली की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट में दायर की गयी अलग-अलग याचिकाएं

पश्चिम बंगाल में भाजपा की राज्य इकाई ने सवाल उठाया था, जब से वहां तनाव बढ़ने लगा था. भाजपा का दावा था कि सीएपीएफ की तैनाती के अभाव में प्रदर्शनकारी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती क्योंकि जिला पुलिस कथित तौर पर यौन उत्पीड़न के आरोपियों को संरक्षण दे रही है.

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में पिछले कुछ दिनों से अशांति का माहौल है. राज्य सरकार ने वहां शांति व्यवस्था बहाल रखने के लिए धारा 144 लागू किया है. इसी बीच, संदेशखाली की घटना में अब अदालत से हस्तक्षेप की मांग करते हुए देश की सर्वोच्च न्यायालय व कलकत्ता हाइकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गयी है. गौरतलब है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दावा किया था कि संदेशखाली में भाजपा बाहरी लोगों को लाकर अशांति फैला रही है. इसी बीच, अधिवक्ता आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर पूरी घटना की न्यायिक जांच की मांग की है.

मणिपुर के तर्ज पर न्यायिक जांच का आदेश देने का आवेदन

अधिवक्ता श्रीवास्तव में अपनी याचिका में मणिपुर के तर्ज पर न्यायिक जांच का आदेश देने का आवेदन किया है. उन्होंने अपनी याचिका में मांग की है कि जरूरत पड़े तो सीबीआइ या विशेष एसआइटी का गठन कर मामले की जांच कराई जाए. सिर्फ यही नहीं, घटना में जिन-जिन पुलिस अधिकारियों का नाम शामिल है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया जाए. साथ ही पूरे मामले की सुनवाई के लिए तीन या चार सदस्यों की विशेष पीठ का गठन करने व इसकी सुनवाई पश्चिम बंगाल की बजाय किसी अन्य में करने की मांग की गयी है.

सीएपीएफ की तैनाती की मांग करते हुए हाइकोर्ट में दायर हुई याचिका

वहीं, संदेशखाली में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की मांग उठी है. इसे लेकर शुक्रवार को अधिवक्ता संयुक्ता सामंत ने कलकत्ता हाइकोर्ट की एक खंडपीठ में एक याचिका भी दायर की गयी है. गौरतलब है कि संदेशखाली में बीते कई दिनों से स्थानीय महिलाएं कथित तौर पर उनके साथ हुए यौन उत्पीड़न के आरोप लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कांत की खंडपीठ ने संयुक्ता सामंत द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है, मामले की सुनवाई 19 फरवरी को होगी. संदेशखाली में सीएपीएफ कर्मियों की तैनाती पर पहले पश्चिम बंगाल में भाजपा की राज्य इकाई ने सवाल उठाया था, जब से वहां तनाव बढ़ने लगा था. भाजपा का दावा था कि सीएपीएफ की तैनाती के अभाव में प्रदर्शनकारी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती क्योंकि जिला पुलिस कथित तौर पर यौन उत्पीड़न के आरोपियों को संरक्षण दे रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें