Bhubaneswar News: भुवनेश्वर में कालंदी सामल के विचारोत्तेजक उपन्यास जाआंला तोटा पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ. ओडिशा के उच्च शिक्षा, ओड़िया भाषा, साहित्य, संस्कृति और खेलों के साथ युवा व्यापार मंत्री सूर्यवंशी सूरज और राज्य भर से साहित्यकार इस उपन्यास के महत्व पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए. श्री सूरज ने कहा कि भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा ओड़िया अस्मिता के प्रतीक हैं. प्रत्येक ओड़िया के हर कार्यक्रम और सभी मांगलिक कार्यों में श्रीमंदिर के भगवान जगन्नाथ को निमंत्रण दिया जाता है. ठीक उसी तरह उपन्यास जाआंला तोटा में इस तरह का समर्पण देखा जा सकता है. प्रसिद्ध लेखक कालंदी सामल द्वारा लिखित जाआंला तोटा उपन्यास ओड़िया अस्मिता का संदेशवाहक है.
ओड़िया साहित्य के विद्यार्थी व कई प्रतिष्ठित व्यक्ति हुए शामिल
श्री सूरज ने कहा कि इस उपन्यास में लेखक ने राधवल्लभपुर गांव में तोटा (बागान) का निर्माण कराने से पूर्व और तालाब की खुदाई के कार्यक्रम से पहले भगवान जगन्नाथ के पास समर्पण किया गया है. उपन्यास के मुख्य पात्र रश्मीरेखा और दीप्तिरेखा के माध्यम से यह चित्रण किया गया है कि कैसे ओड़िया अस्मिता के संस्कारों से प्रेरित होकर यह कार्यक्रम शुरू हुआ. पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा पांच साल पहले लॉन्च की गयी प्रसिद्ध लेखक कालंदी सामल के विचारोत्तेजक उपन्यास जाआंला तोटा एक बार फिर ओड़िया साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बन गयी है. एक दिन के इस सेमिनार में ओड़िया साहित्य के विद्यार्थियों के अलावा कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी शामिल हुए और जाआंला तोटा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. इस प्रतिष्ठित पैनल में पद्मश्री प्रोफेसर दमयंती बेश्र, प्रोफेसर बसंत पंडा, सांसद रवि नारायण बेहेरा, समाजसेवी समीर मोहंती और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों से शामिल थे.
ओड़िया संस्कृति और परंपरा की दिखती है गहरी लेखकीय निष्ठा
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर बसंत पंडा ने कहा कि जाआंला तोटा में ओड़िया संस्कृति और परंपरा की गहरी लेखकीय निष्ठा देखने को मिलती है. आयोजक के रूप में यह कार्यक्रम सारला भाषा साहित्य और पुरातत्व शोध न्यास के संचालक अजित दास ने आयोजित किया. डॉ मिहिर कुमार साहू और डॉ संगमित्रा महापात्र ने जाआंला तोटा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. जाजपुर लोकसभा सदस्य और शोधकर्ता डॉ रवि नारायण बेहेरा ने इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया और कहा कि एक छोटे गांव ने विकास की ऊंचाइयों को छुआ है, जैसा कि जाआंला तोटा उपन्यास में दिखाया गया है. इस कार्यक्रम में जनसहभागिता से विकसित गांव का प्रतिबिंब देखा गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है