Rourkela News: राउरकेला को 14 नवंबर, 2014 को महानगर निगम (आरएमसी) को मान्यता मिली थी. निगम की मान्यता प्राप्त हुए 12 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इसके चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं. कुछ स्थानीय संगठनों के विरोध के कारण यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. लेकिन पूर्ववर्ती नवीन पटनायक सरकार हो या वर्तमान भाजपा की डबल इंजन सरकार, दोनों ने चुनाव कराने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाये हैं. इसका नतीजा यह है कि एक दशक से भी अधिक समय से जनता आरएमसी तक नहीं पहुंच पा रही है. आरएमसी प्रशासनिक अधिकारियों के नियंत्रण में है, इसलिए जनता को बुनियादी सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. निगम में अफसरों का राज चलने के कारण आम जनता को बुनियादी सुविधा के लिए अधिकारियों से चिरौरी करनी पड़ती हैं.
2008 में हुआ था राउरकेला नगरपालिका का चुनाव
राउरकेला नगरपालिका का अंतिम चुनाव 2008 में हुआ था, जबकि इसका कार्यकाल अगस्त 2013 में समाप्त हो गया था. लगभग एक साल बाद राउरकेला नगर पालिकानगर को निगम घोषित किया गया. लेकिन इसकी पूरी सेवाएं निवासियों को उपलब्ध नहीं हैं. चुनाव नहीं होने का मुख्य कारण यह है कि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. 2014 में महानगर निगम घोषित होने के बाद जगदा और झारतरंग पंचायत के कुछ हिस्सों को इसमें मिला दिया गया था. इस दौरान स्थानीय आदिवासी संगठनों ने प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. मार्च 2014 में उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी, जो अभी भी लागू है. हालांकि निगम के वार्डों की संख्या 33 से बढ़ाकर 40 कर दी गयी है.पूर्व नगरपाल ने 2021 में हाइकोर्ट में दायर की थी चुनाव कराने की याचिका
राउरकेला नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष निहार राय ने 2021 में चुनाव कराने के लिए उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी. उन्होंने न्यायालय का ध्यान तत्काल चुनाव कराने की ओर आकर्षित कराया था. इस संबंध में न्यायालय ने तत्कालीन राज्य सरकार को पक्ष रखने का आदेश दिया था. विडंबना यह है कि राज्य सरकार ने अभी तक न तो कोई पक्ष रखा है और न ही मामला दायर किया है. इसे खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये जा रहे हैं.विधानसभा चुनाव में सभी दलों ने उठाया था मुद्दा
2024 के विधानसभा चुनाव में आरएमसी चुनाव एक बड़ा मुद्दा बन गया था. लगभग सभी पार्टी के उम्मीदवारों ने इसी मुद्दे पर वोट मांगे थे. जून 2024 में ओडिशा में नयी भाजपा सरकार बनने के बाद राउरकेला महानगर निगम के चुनाव की उम्मीद फिर से जगी थी. वहीं शहरी विकास मंत्री ने खुद पिछले साल मार्च में घोषणा की थी कि अगले छह महीनों के भीतर चुनाव होंगे, लेकिन इस संबंध में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. जब तक हाइकोर्ट अपनी रोक वापस नहीं लेता या सरकार कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाती, तब तक आरएमसी चुनाव होने की संभावना कम है.आरएमसी चुनाव को लेकर बीजद, भाजपा व कांग्रेस की उदासीनता आश्चर्यजनक
राउरकेला महानगर निगम के चुनाव को लेकर बीजद, भाजपा व कांग्रेस की ओर से लगातार एक-दूसरे के खिलाफ आराेप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है. लेकिन चुनाव किस प्रकार जल्द से जल्द हो सकेगा, इसे लेकर अभी तक बीजद, भाजपा व कांग्रेस के नेता व जनप्रतिनिधियों का रवैया उदासीन ही रहा है. उदाहरण के तौर पर जब तक बीजद की सत्ता रही, तब तक वर्तमान विधायक व पूर्व मंत्री शारदा प्रसाद नायक की ओर से राउरकेला महानगर निगम का चुनाव कराने को लेकर अपनी सरकार पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया गया. लेकिन अब सत्ता नहीं रही, तो विधानसभा में उनकी ओर से निगम का चुनाव नहीं होने को लेकर सदन के पटल पर सवाल उठाया गया था. इस पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता धीरेन सेनापति ने कहा था कि जब उनकी सरकार थी, तो उन्होंने निगम का चुनाव कराने को लेकर कुछ नहीं किया. अब उन्हें निगम चुनाव की चिंता सता रही है. वहीं सेनापति ने कहा कि हमारी सरकार निगम चुनाव कराने को लेकर गंभीर है तथा जल्द चुनाव कराया जायेगा. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद इस नयी सरकार ने निगम चुनाव कराने को लेकर कोई पहल नहीं की है. इसी प्रकार राउरकेला जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रवि राय ने भी कहा था कि यदि जल्द से जल्द निगम का चुनाव नहीं हुआ, तो कांग्रेस चुनाव कराने की मांग पर हाइकोर्ट की शरण लेगी. लेकिन तीनों ही राजनीतिक दलों की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया है, जिससे ऐसा लगे कि वे तीनों राजनीतिक दल राउरकेला महानगर निगम का चुनाव कराने को लेकर गंभीर हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

