Rourkela News : ओडिशा हाउसिंग बोर्ड की ओर से शहर के बसंती कॉलोनी व छेंड कॉलोनी का निर्माण कर छह हजार से भी अधिक मकानों का आवंटन किया गया था. लेकिन अब 25 साल से ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी हाउसिंग बोर्ड की कोई नयी आवासीय परियोजना राउरकेला के लिए नहीं बनी है. इसका नतीजा यह है कि शहर व आसपास जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं. जबकि किराये के मकान में रहना भी महंगा होता जा रहा है. इन समस्याओं का समाधान करने के लिए हाउसिंग बोर्ड की ओर से बसंती कॉलोनी में आठ मंजिला अपार्टमेंट बनाने की योजना बनायी गयी थी. इसका प्लान भी राउरकेला महानगर निगम की ओर से अप्रूवल कर दिया गया है. लेकिन छह साल गुजर जाने के बाद भी यह योजना अधर में है.
हाउसिंग बोर्ड का राउरकेला कार्यालय बना पंगु
इस परियोजना को छह साल के बाद भी अमली जामा नहीं पहनाये जाने को लेकर शहर के बुद्धिजीवियों और आम जनता में गहरी चिंता है. इस परियोजना के तहत उच्च-मध्यम आय वर्ग के लिए 70 एचसीसी फ्लैट, मध्यम-आय वर्ग के लिए 80 एआइजी फ्लैट और निम्न-आय वर्ग के लिए 45 फ्लैट और 20 दुकानें बनाने की योजना है. लेकिन यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है और इसके पूरा होने की कोई निश्चित तारीख नहीं है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि हाउसिंग बोर्ड की सारी शक्ति भुवनेश्वर कार्यालय में केंद्रित हो गयी है और बोर्ड के राउरकेला कार्यालय को पंगु बना दिया गया है. यहां पर एक भी अधिकारी नहीं है, केवल एक लिपिक व तीन-चार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही हैं. इस कारण इस कार्यालय में कोई काम नहीं हो पा रहा है. हाउसिंग बोर्ड से मकान व दुकान लेनेवाले मकान व दुकान मालिकों को छोटे-छोटे काम के लिए भुवनेश्वर की दौड़ लगानी पड़ रही है. हाउसिंग बोर्ड की इस परियोजना के लंबित रहने से शहर में आवास की समस्या और भी गंभीर हो गयी है. स्थानीय लोगों ने हाउसिंग बोर्ड और सरकार से मांग की है कि परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाये. इससे शहर में आवास की समस्या का समाधान होगा और घर के किराये में भी कमी आयेगी.
राउरकेला के विकास को लेकर डबल इंजन सरकार गंभीर नहीं
सचेतन नागरिक मंच, राउरकेला के अध्यक्ष विमल बिसी ने कहा कि राउरकेला के विकास काे लेकर भाजपा की डबल इंजन सरकार गंभीर नहीं है. हाउसिंग बोर्ड के अपार्टमेंट का मामला हो या फिर विकसित एयरपोर्ट, राउरकेला को अलग रेल डिवीजन, वेदव्यास में हैंगिंग ब्रिज समेत विकास के अन्य मुद्दोंं पर यह सरकार उदासीन है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
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