Rourkela News: राउरकेला को स्मार्ट सिटी का तमगा मिलने के बाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से विकास परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपयों की राशि खर्च की जा रही है. लेकिन शहर की हालत देखने से लगता है कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद भी सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को पानी जैसी बुनियादी सुविधा का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. खासकर न्यू बस स्टैंड, बिसरा चौक बस स्टॉप, उदितनगर बस स्टॉप तथा आरटीओ कार्यालय के पास लगे प्याऊ की हालत देखकर महसूस हो रहा है कि यहां खर्च की गयी राशि ही पानी में ही चली गयी है.
सार्वजनिक प्याऊ से गायब हुए नल, बने पीकदान
राउरकेला बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा के लिए सार्वजनिक प्याऊ तो बनाया गया है, लेकिन यह काफी दिनों से खराब है. इसे सुधारने के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. आलम यह है कि अब इस स्थान का प्रयोग लोग लघुशंका के लिए करने लगे हैं. इसी प्रकार बिसरा चौक बस स्टाॅप के पास बने प्याऊ के नल ही गायब हो गये हैं, जिससे अब इसका इस्तेमाल लोग पान-गुटका के पीकदान के तौर पर करने लगे हैं. वहीं उदितनगर चौक बस स्टॉप पर नल तो लगा है, लेकिन यहां से पानी की एक बूंद भी नहीं टपकती है. ऐसा ही हाल राउरकेला आरटीओ कार्यालय के पास लगे प्याऊ का है, यहां पर पानी नहीं आ रहा है. इस वजह से राहगीरों से लेकर यात्रियों को पानी की बाेतल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है.
लोगों को पानी उपलब्ध हो, इस पर ध्यान दे प्रशासन
कार चालक रमेश मिंज ने कहा कि शहर में धीरे-धीरे गर्मी की तपिश बढ़ने लगी है. धूप तेज होने पर प्यास भी लगती है. हमारा ड्राइविंग का काम है. वैसे तो हम घर से पानी की बोतल लेकर चलते हैं. लेकिन पहले पानी खत्म होने पर इसे प्याऊ से भर लेते थे. यह खराब तथा बंद होने से अब परेशानी होती है. ऑटो चालक सुजीत बड़ाईक ने कहा कि मुझे कई बार ऑटो रिक्शा में यात्रियों को लेकर जाना पड़ता है. लेकिन कुछ यात्री यह सोचकर अपने साथ पानी लेकर नहीं चलते हैं कि शहर के किसी भी प्याऊ से पानी भर लेंगे. अब इन स्थानाें पर लगे प्याऊ खराब व बंद होने से इन यात्रियों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है. वहीं स्थानीय निवासी दुर्गा यादव ने न्यू बस स्टैंड में यात्रियों को परेशान न हो, इसके लिए पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की. योगेंद्र सिंह ने कहा कि जितने भी सार्वजनिक नल खराब पड़े हैं अथवा बंद हैं, उनकी जल्द मरम्मत कराये जाने की जरूरत है. ताकि गर्मी के दिनों में राहगीरों को पानी के लिए भटकना न पड़े.
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