Rourkela News: धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ओडिशा सरकार 4100 रुपये देगी. सरकार के कृषि और कृषक सशक्तीकरण विभाग ने न केवल इसकी घोषणा की है, बल्कि इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू भी कर दिया है. लेकिन इसके लिए किसानों को रासायनिक खाद से मुंह मोड़ना होगा. उन्हें जैविक तरीकों और लुप्त हो रही पुरानी देसी धान की किस्मों की खेती को अपनाना होगा. सुगंधित और गैर-सुगंधित देसी धान की खेती, जो हमारे पूर्वज रासायनिक खाद के उपयोग के बिना जैविक तरीके से करते थे, उसी तरह की खेती करनी होगी.
किसानों को नहीं करना होगा रासायनिक खाद का इस्तेमाल
बताया गया कि रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और भोजन जहरीला हो रहा है, जो मानव शरीर और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है. इसलिए कृषि विभाग ने लुप्त प्राय देसी धान को जैविक तरीकों से किसानों के खेतों में वापस लाने के लिए एक ऐसी सुविचारित योजना शुरू की है. यह योजना आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में पिछले साल से सुगंधित और गैर-सुगंधित धान की खेती के नाम से लागू की गयी है. सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2023 में राजगांगपुर, बड़गांव, लेफ्रीपाड़ा, सबडेगा, बालीशंकरा में 1,000 हेक्टेयर में धान की खेती की गयी. 2024 में इसमें गुरुंडिया और बणई ब्लॉक को जोड़ा गया और यह 5,300 हेक्टेयर तक पहुंच गया. इस साल सुंदरगढ़ सदर ब्लॉक समेत नौ ब्लॉकों में 8,300 हेक्टेयर जमीन पर जैविक तरीके से देसी धान की खेती की गयी है.
विलुप्त हो रही धान किस्मों के प्रति किसानों में रुचि पैदा करना है उद्देश्य
जिले में काला चंपा, दोही जूही, बादशा भोग, सुगंधा, गीतांजलि, पिंपुदीबास आदि लगभग विलुप्त हो चुकी धान की किस्मों की खेती की गयी है. किसानों में रुचि पैदा करने के लिए सरकार ने सहायता प्रदान की है. पहले वर्ष किसानों को प्रति एकड़ 18 किलो धान का बीज, 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि और जैविक खाद उपलब्ध करायी गयी. इसी तरह दूसरे वर्ष 10 किलो धान के बीज, 4000 रुपये प्रोत्साहन राशि और जैविक खाद उपलब्ध करायी गयी है. तीसरे वर्ष प्रति एकड़ 8 किलो धान के बीज, 3500 रुपये प्रोत्साहन राशि और जैविक खाद उपलब्ध करायी गयी है. इतना ही नहीं, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एफएक्यू धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4100 रुपये रखा गया है.
जिले में 80 मंडी खोलने की है योजना
कृषि विभाग के अनुसार, पिछले वर्षों में किसानों से इसी मूल्य पर धान खरीदा जाता था. इसके लिए हर 100 हेक्टेयर पर एक विशेष मंडी खोली गयी थी और इस वर्ष जिले में 80 मंडियां खोलने की योजना है. यह योजना जिला मुख्य कृषि अधिकारी की प्रत्यक्ष देखरेख में विभिन्न किसान उत्पादक संघों द्वारा क्रियान्वित की जा रही है. जिला मुख्य कृषि अधिकारी लाल बिहारी मलिक ने कहा कि यह किसानों और काश्तकारों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है. उन्होंने कहा कि यह योजना जैविक खेती और देसी धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए क्रियान्वित की जा रही है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस वर्ष खेती के लिए अनुकूल वातावरण होने के कारण पैदावार बहुत अच्छी होगी. कृषि विभाग किसानों को इस योजना का पूरा लाभ उठाने और विष मुक्त भोजन और वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

