Sambalpur News : हमारी प्राचीन कला एवं संस्कृति प्रमाणित करती है कि हमारी लोकसंस्कृति कभी विलुप्त नहीं होगी.समयानुसार नये रूप में जीवित होगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पश्चिमांचल एकता मंच की और से आयोजित पांचवें राष्ट्रीय संबलपुरी सम्मेलन के समापन समारोह में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि उक्त बातें कहीं. केंद्रीय मंत्री ने कहा भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें मैकाले की मानसिकता से निकलना होगा. क्योंकि टीबी मैकाले ने भारतीय सनातन संस्कृति को पथभ्रष्ट करने, हमारी भाषा, साहित्य एवं शिक्षा पद्धति को कमजोर करने का काम किया था. अभी देश में नयी शिक्षा नीति के अनुसार भारत के सभी मातृभाषा राष्ट्रीय भाषा है. इस परिप्रेक्ष्य में संबलपुरी भाषा भी एक गौरवशाली राष्ट्रीय भाषा है. भाषा कभी भी विभेद द्वेष नहीं करती है, बल्कि संस्कृति को जोड़कर रखती है. हमारी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति ही हमारी असली पहचान है. इस संस्कृति को सुरक्षित रखना और मैकाले शिक्षा निति प्रभावहीन कर मातृभाषा को अपनाना ही हम सबका दायित्व बनाता है. गुरुश्री सत्यनारायण बोहिदार के संबलपुरी भाषा के प्रति अवदान और स्वभाव कवि गंगाधर मेहर के कालजयी काव्यों से हमारा साहित्य अमूल्य संपद बन गया है. इस धारा को पद्मश्री हलधर नाग की लेखनी ने नयी ऊंचाई पर पहुंचाया है. पद्मश्री कृतार्थ आचार्य हमारे बुनकर उद्योग को समृद्ध कर संबलपुरी वस्त्र को पूरे विश्व में पहचान दिलाने का काम किया है. इन महापुरुषों से हमारी कला संस्कृति पूरे विश्व में गौरवान्वित होती है. संबलपुर का इतिहास बहुत प्राचीन है, यहां के मंदिरों के स्थापत्य इसका साक्षी है. यहां पर दस हजार साल पुराना रॉक आर्ट है जिसका पुरातत्व विभाग गवेषणा कर रहा है. आयोजन में संबलपुर विधायक जयनारायण मिश्र, रेढ़ाखोल विधायक प्रसन्न आचार्य, उत्तरांचल आइजी हिमांशु लाल, आइआइएम निर्देशक महादेव जायसवाल, डीएम सिद्धेश्वर बोलीराम बोंडार, महानगर निगम आयुक्त रेहान खत्री, पूर्व विधायक नौउरी नायक, पश्चिमांचल एकता मंच के सलाहकार डाॅ प्रमोद रथ और अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

