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अपने ज्ञान को सामाजिक उद्यम समझें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भुवनेश्वर में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइएसइआर) के 13वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि एनआइएसइआर की यात्रा अभी कुछ वर्षों की ही है, लेकिन इसने कम समय में ही शिक्षा जगत में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है

भुवनेश्वर, अपने ज्ञान को सामाजिक उद्यम समझें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें . राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भुवनेश्वर में नाईजर में 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए विद्यार्थियों को यह सलाह दी. राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भुवनेश्वर में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइएसइआर) के 13वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि एनआइएसइआर की यात्रा अभी कुछ वर्षों की ही है, लेकिन इसने कम समय में ही शिक्षा जगत में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि यह संस्थान विज्ञान की तार्किकता और परंपरा के मूल्यों को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ रहा है. राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सार्थक शिक्षा और ज्ञान वही है जो मानवता की भलाई और उत्थान के लिए इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने विश्वास जताया कि वे जहां भी काम करेंगे, अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के सर्वोच्च स्तर को प्राप्त करेंगे. उन्होंने उम्मीद जतायी कि अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों के साथ-साथ वे अपने सामाजिक कर्तव्यों का भी पूरी जवाबदेही के साथ निर्वहन करेंगे. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पापों के बारे में बताया है, जिनमें से एक है निर्दयी विज्ञान भी है. यानी मानवता के प्रति संवेदनशीलता के बिना विज्ञान को बढ़ावा देना पाप करने के समान है. उन्होंने विद्यार्थियों को गांधी जी के इस संदेश को हमेशा याद रखने की सलाह दी. राष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने अंदर हमेशा विनम्रता और जिज्ञासा की भावना बनाए रखें. उन्होंने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने ज्ञान को एक सामाजिक उद्यम के रूप में देखें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें. राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान के वरदान के साथ-साथ इसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहता है. आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं. नए तकनीकी विकास मानव समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही वे मानवता के लिए नयी चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं. जैसे सीआरआइएसपीआर-सीएएस9 ने जीन एडिटिंग को बहुत आसान बना दिया है. यह तकनीक कई असाध्य बीमारियों के समाधान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. हालांकि, इस तकनीक के उपयोग से नैतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं. इसी तरह, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में प्रगति के कारण डीप फेक की समस्या और कई नियामक चुनौतियां सामने आ रही हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि मौलिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग और शोध के परिणाम आने में अक्सर बहुत समय लगता है. कई बार कई वर्षों तक निराशा झेलने के बाद सफलता मिली है. उन्होंने छात्रों से कहा कि वे कभी-कभी ऐसे दौर से भी गुजर सकते हैं जब उनके धैर्य की परीक्षा होती है. लेकिन उन्हें कभी निराश नहीं होना चाहिए. उन्होंने छात्रों को हमेशा याद रखने की सलाह दी.

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