Sambalpur News: एक समय था, जब संबलपुर के लोग सिनेमा हॉल में फिल्में देखने के लिए उत्सुकता से पहुंचते थे. बड़े शहरों में कई थिएटर नियमित रूप से फिल्में चलाते थे. लेकिन अब स्थिति काफी बदल गयी है. संबलपुर शहर में अब एक भी सिनेमा हॉल चालू नहीं है. पिछले कुछ सालों में तीन प्रमुख थिएटर गेयटी टॉकीज, अशोका टॉकीज और लक्ष्मी टॉकीज पूरी तरह से बंद हो गये, जिससे शहर से इनका अस्तित्व मिट गया. इस पर सिनेमा प्रेमियों और कलाकारों ने गहरी चिंता व्यक्त की है.
रोजगार के अवसर हुए बाधित, व्यवसाय भी प्रभावित
सिनेमा हॉल बंद होने से न केवल मनोरंजन का साधन प्रभावित हुआ है, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बाधित हुए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्म उद्योग केवल संस्कृति और कला ही नहीं, बल्कि एक प्रमुख व्यवसाय क्षेत्र भी है. पहले प्रत्येक सिनेमा हॉल में विभिन्न भूमिकाओं में लगभग 30 से 40 कर्मचारी कार्यरत थे. इसके अलावा आसपास के इलाकों से लोग फिल्म देखने के लिए संबलपुर आते थे, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से छोटे और बड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलता था. थिएटरों की कमी ने शहर की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. सिनेमा हॉल बंद होने के बाद कुछ अस्थायी स्क्रीनिंग विकल्प पेश किये गये. कुछ सालों तक, एलेक्स जैसी वैकल्पिक डिजिटल स्क्रीनिंग ने बड़ी भीड़ को आकर्षित किया. लेकिन हाल ही में इनका संचालन भी बंद हो गया. अब संबलपुर के निवासी फिल्में देखने के लिए पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर हैं.
विशेषज्ञों ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की
धनुयात्रा नाटककार और निर्देशक बबलू बाग सहित वरिष्ठ कलाकारों और सांस्कृतिक हस्तियों ने इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है. उनका तर्क है कि संबलपुर जैसे शहर में कम से कम छह चालू थिएटर होने चाहिए. ओडिशा सरकार को दक्षिण भारत की तरह फिल्म उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए. यदि सरकार थिएटर निर्माण के लिए सब्सिडी देती है, तो युवा उद्यमी निवेश करने में रुचि ले सकते हैं. इससे न केवल सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न होगा, बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
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