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धर्म संसद की टिप्पणियों पर मोहन भागवत की खरी-खरी, बोले – ‘गुस्से में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हाल में 'धर्म संसद' नामक कार्यक्रम में दिए गए कुछ बयान 'हिंदुओं के शब्द' नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले लोग उनके साथ कभी सहमत नहीं होंगे.

मुंबई : धर्म संसद में पिछले दिनों की गई विवादित टिप्पणियों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किनारा कर लिया है. इन टिप्पणियों पर मोहन भागवत ने कहा कि धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट लहजों में कहा कि अगर गुस्से में कोई बात कही जाए तो वह हिंदुत्व नहीं है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हाल में ‘धर्म संसद’ नामक कार्यक्रम में दिए गए कुछ बयान ‘हिंदुओं के शब्द’ नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले लोग उनके साथ कभी सहमत नहीं होंगे. वह लोकमत के नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर लोकमत मीडिया समूह द्वारा आयोजित एक व्याख्यान शृंखला में ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकीकरण’ विषय पर जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे.

भागवत ने कहा कि अगर मैं कभी कुछ गुस्से में कहता हूं, तो यह हिंदुत्व नहीं है. संघ प्रमुख ने कहा कि यहां तक कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.

देश के ‘हिंदू राष्ट्र’ बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. भागवत ने कहा कि आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं करता, बल्कि मतभेदों को दूर करता है. उन्होंने कहा कि हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं.

प्रणब मुखर्जी को बुलाने से पहले की थी पूरी तैयारी

इसके साथ ही, मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि वह वर्ष 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे. भागवत ने कहा कि उस समय ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे.

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भागवत ने कहा कि जब वह मुखर्जी से मिलने गए थे तो उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने की कोई जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उन्होंने खुद कहा कि ‘अगर आपने (आरएसएस ने) घर वापसी का काम नहीं किया होता तो देश के 30 प्रतिशत समुदाय देश से कट गए होते.’

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