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सिस्टम कर रहा मौत का इंतजार !

टूट गयी आस : डॉक्टरों ने पल्ला झाड़ा, मजबूर परिजन सपानी को ले गये घर चाईबासा सदर अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड रही सपानी की मौत का इंतजार पूरा सिस्टम कर रहा है. पति व सास की प्रताड़ना की शिकार गरीब सपानी एक माह तक घर की चाहरदीवारी में सांसे गिर […]

टूट गयी आस : डॉक्टरों ने पल्ला झाड़ा, मजबूर परिजन सपानी को ले गये घर
चाईबासा सदर अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड रही सपानी की मौत का इंतजार पूरा सिस्टम कर रहा है. पति व सास की प्रताड़ना की शिकार गरीब सपानी एक माह तक घर की चाहरदीवारी में सांसे गिर रही थी. अचानक पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई से सपानी व परिजनों की आस जगी.
आरोपी पति-सास जेल गये, उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. महसूस हुआ कि न्याय मिलेगा, जिंदगी बच जायेगी. चार दिन इलाज के नाम पर खानापूर्ति होती रही. इस बीच पीड़िता का मजिस्ट्रेटी बयान भी नहीं कराया गया.फिर अचानक गरीब व असमर्थ सपानी को बेहतर इलाज के नाम पर जमशेदपुर रेफर कर दिया. तर्क चाहे जो हो, सच्चाई है कि एक महिला जिसे जलाकर मारने का प्रयास किया जाता है वह न्याय के लिए आखिरी सांस तक लडने को तैयार है, लेकिन प्रशासन उसका साथ देने को तैयार नहीं.
चाईबासा : पति प्रताड़ना की शिकार सपानी के परिजनों की आस आखिरकार व्यवस्था से टूट गयी. इलाज के नाम पर तीन दिन से चल रही खानापूरी और फिर अचानक रेफर कर पल्ला झाड़ने से नाराज परिजन सपानी को शनिवार घर ले गये.
सपानी के भाई सुभाष कोड़ा ने आरोप लगाया कि सदर अस्पताल प्रबंधन ने उनकी माली व दयनीय स्थिति को जानते हुए उसे जमशेदपुर रेफर कर दिया. इन चार दिनों में उसके इलाज पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. अस्पताल से रेफर किये जाने पर सवाल उठाते हुए सुभाष ने कहा कि अगर डॉक्टर को रेफर ही करना था तो पहले ही कर देते. अब हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि हम कोई बेहतर अस्पताल में लेकर बहन का इलाज करा सके. इसलिए हमें मजबूरन उसे घर वापस ले जाना पड़ रहा है.
जान मारने की नियत से पति ने सपानी को जलाया
नोवामुंडी थाना अंतर्गत पूरती दिघिया गांव निवासी सपानी पुरती को छह फरवरी को उसके पति मुन्ना पूरती ने जान मारने की नीयत से घर बंद कर जलाने का प्रयास किया था. पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर पति व सौतेली सास को जेल तो भेज दिया लेकिन जब तक मजिस्ट्रेट के सामने बयान न हो जाये यह मामला न्यायालय में ट्रायल के दौरान भी हल्का बना रहेगा. 80 प्रतिशत जली सपानी मौत से संघर्ष कर रही है. परिजनों का कहना है कि उसकी तबियत बिगड़ रही है और यही हाल रहा तो कभी भी उसकी मौत हो सकती है.
सदर अस्पताल में सुपानी का रुटीन चेकअप तक डॉक्टर नहीं करते थे. दवा भी बाहर से ही लाना पड़ता था. डॉक्टर के बात करने का तरीका भी काफी अशोभनीय था.
सुभाष कोड़ा, पीड़िता का भाई
सपानी को बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल रेफर किया गया है. यहां पर इतनी सुविधा नहीं है कि बेहतर इलाज हो पाये.
डॉ जगत भूषण प्रसाद, सिविल सजर्न

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