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गैर आदिवासी बहू-दामाद मान्य नहीं
हो समाज महासभा ने अंतरजातीय विवाह पर लगाया प्रतिबंध चाईबासा : आदिवासी समाज में अंतरजातीय विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. आदिवासी समाज का लड़का यदि किसी गैर आदिवासी लड़की से शादी करेगा तो, उसकी पत्नी को आदिवासी समाज के धार्मिक स्थलों पर जाने की पाबंदी होगी. आदिवासी समाज की ओर से गैर आदिवासी बहू को […]
हो समाज महासभा ने अंतरजातीय विवाह पर लगाया प्रतिबंध
चाईबासा : आदिवासी समाज में अंतरजातीय विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. आदिवासी समाज का लड़का यदि किसी गैर आदिवासी लड़की से शादी करेगा तो, उसकी पत्नी को आदिवासी समाज के धार्मिक स्थलों पर जाने की पाबंदी होगी. आदिवासी समाज की ओर से गैर आदिवासी बहू को सामाजिक मान्यता भी नहीं मिलेगी.
आदिवासी युवती को गैर आदिवासी युवक के साथ शादी करना सामाजिक कलंक है. यह फरमान शनिवार को आदिवासी हो समाज महासभा केंद्रीय समिति ने आदिवासी भवन हरिगुटू में आयोजित 11वें दो दिवसीय महाधिवेशन में सुनाया.
हरिगुट्टू में आयोजित महाधिवेशन के पहले दिन वक्ताओं ने बताया कि महासभा की ओर से पारंपरिक शादी को शीर्ष मान्यता दी गयी है. आदिवासी समाज की ओर से पारंपरिक शादी को दोस्तुर अणादि कहा गया है. लोगों को बताया गया कि दोस्तुर अणादि में वर व वधू दोनों पक्षों के रिश्तेदारों की रजामंदी से मजबूत रिश्ता कायम होता है. इससे बेहतरी भी कायम रहती है. अंतरजातीय विवाह को आदिवासी समाज की ओर से सेल्ल अणादि कहा जाता है.
इसी सेल अणादि को महासभा की ओर से सिरे से खारिज किया गया है. मौके पर कहा गया कि शादी के बहाने गैर आदिवासी युवक आदिवासियों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकार का लाभ उठा लेते हैं. रविवार को भी कई अन्य विषयों पर चर्चा की जायेगी. कार्यक्रम में छह सौ प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. मौके पर आदिवासी युवा महासभा के अध्यक्ष भूषण पाट पिंगुवा, नरेश, दामोदर, कृष्णा बोदरा, सुशील पुरती, मुकेश बिरूवा आदि सक्रिय थे. कार्यक्रम की शुरुआत से पहले आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार पूजा-अनुष्ठान किया गया.
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