चाईबासा : कानून-व्यवस्था व न्यायिक प्रणाली के बीच अभियोजन पक्ष की सशक्त भूमिका पर शनिवार को गहन मंथन किया गया. मौका था पुलिस, न्यायपालिका व अभियोजन पक्ष की एक दिवसीय कार्यशाला का.
पुलिस लाइन स्थित सभागार में रविवार को आयोजित कार्यशाला उद्घाटन मुख्य अतिथि जिला व सत्र न्यायाधीश नित्यानंद सिंह, पुलिस अधीक्षक पंकज कंबोज, प्रथम अपर जिला व सत्र न्यायाधीश विजय शंकर शुक्ला व वरीय अधिवक्ता मदन मोहन दरिपा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया.
कार्यशाला में जघन्य अपराध व अन्य छोटी-बड़ी मामलों के अनुसंधान में हो रही त्रुटियों पर बारीकी से चर्चा की गयी. कार्यशाला में इस बात पर आम राय बनी कि अनुसंधान की छोटी-छोटी त्रुटियों के कारण पुलिस के सारे प्रयास विफल हो जाते है. इसलिए इन त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए.
मुख्य अतिथि जिला व सत्र न्यायाधीश नित्यानंद सिंह ने कहा कि अनुसंधान की छोटी-छोटी त्रुटियों के कारण न्यायपालिका मामलों का सही निपटारा करने में विफल हो जाती हैं एवं आरोपी दोष मुक्त हो जाते हैं. दोष सही साबित नहीं होने कारण दोषी सजा पाने से वंचित होते है.
जिससे पीड़ितों को सही न्याय नहीं मिल पाता है. ऐसा होने से पीड़ितों के साथ अन्याय होता है. उन्होंने कहा कि इससे अपराध में बढ़ोतरी हो रही है जो बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने केस डायरी बनाने में सावधानी बरतने की बात कही. कहा कि केस डायरी मजबूत हो ताकि अभियुक्तों को सजा मिल सके. कर्मियों को दूर किये जाने की जरूरत है.
कार्यशाला में आरक्षी अधीक्षक पंकज कंबोज ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम जिला में यह पहली कार्यशाला है. रोटेशन के तहत कार्याशाला का आयोजन किया गया है ताकि अपराध को नियंत्रित किया जा सके. कार्यशाला को प्रथम अपर जिला व सत्र न्यायाधीश विजय शंकर शुक्ला, वरीय अधिवक्ता मदन मोहन दारिपा ने भी सुझाव दिया. कार्यशाला में सभी थाना के अनुसंधानकर्ता उपस्थित थे.