चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय कॉमर्स एवं ओड़िया रिसर्च स्कॉलरों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को मुरारीलाल वैद्य, प्रमोद कुमार सिंह एवं नित्यानन्द के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल से मिला. रिसर्च स्कॉलरों द्वारा राज्यपाल को बताया गया कि विगत एक वर्ष से पीएचडी का प्री सबमिशन वाइवा होने के बावजूद घोटाले की जांच के नाम पर फाइनल वाइवा नहीं हो पा रहा है.
इसके कारण अब तक पीएचडी की डिग्री से वंचित शोधार्थी जेपीएससी की एसिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति-प्रक्रिया के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. शोधार्थियों ने राज्यपाल को बताया कि उनका यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था. 6 माह तक कोर्स वर्क कराकर विभाग हेड द्वारा कोर्सवर्क कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिये गये थे. लेकिन यूजीसी नियम के तहत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर से कोर्स कंप्लीशन का सर्टिफिकेट निर्गत होना था, लेकिन विश्वविद्यालय ने उक्त नियम की अनदेखी करते हुए विभागीय हेड ने सर्टिफिकेट जारी कर दिया, जबकि इसकी मान्यता नहीं होती.
शोधार्थियों द्वारा रजिस्ट्रार के समक्ष विषय को रखे जाने का मुद्दा उठायेजाने पर कर उनके हस्ताक्षरयुक्त सार्टिफिकेट निर्गत करने की अपील तो उन्होंने इसे सीधे तरीके से नकार दिया. प्रतिनिधिमंडल में ओड़िया विभाग की ओर से गए शोधार्थियों ने राज्यपाल को बताया कि अभी तक केयू में ओड़िया विभाग की स्थापना नहीं हुई है, जबकि कोल्हान ओड़िया बहुल क्षेत्र है. इस विषय में केयू के कुलपति से बात करने का आश्वासन दिया. प्रतिनिधि मंडल ने जेपीएससी की नियुक्ति प्रक्रिया में केयू के शोधार्थियों को भी आवेदन का मौका दिया जाने की मांग की तथा साथ ही जेपीएससी की आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त से बढ़ाने की मांग की. इस प्रतिनिधिमंडल में शिम्पी कुमारी, उज्ज्वल मुखर्जी, राजेश चौरसिया एवं ओड़िया विभाग के शोधार्थी शामिल थे.