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पश्चिमी सिंहभूम के 49% बच्चे कुपोषण के कारण हुए बौने

चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के 49 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के कारण नाटेपन के शिकार हो चुके हैं. इसका खुलासा ‍भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा देशभर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कराये सर्वे में हुआ है. सर्वे के बाद देशभर के 115 जिलों को अति पिछड़ा घोषित किया गया है. इसमें पश्चिमी सिंहभूम […]

चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के 49 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के कारण नाटेपन के शिकार हो चुके हैं. इसका खुलासा ‍भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा देशभर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कराये सर्वे में हुआ है. सर्वे के बाद देशभर के 115 जिलों को अति पिछड़ा घोषित किया गया है. इसमें पश्चिमी सिंहभूम जिला चौथे स्थान पर है.

उचित पोषाहार व असुरक्षित खान-पान के कारण देशभर के 115 जिलों के बच्चों का ग्रोथ नहीं हो पा रहा है. कुपोषण के कारण इन बच्चों के शरीर की लंबाई उम्र के अनुरूप नहीं हो बढ़ पा रही है. इसका मुख्य कारण जन्म से पूर्व मां को उचित पोषाहार नहीं मिलना माना जा रहा है. इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गंभीरता से लिया है.

इसके तहत प्रधानमंत्री के निर्देश पर नीति आयोग ने नेशनल हेल्थ रिसोर्स सेंटर (एनएचआरसी) की टीम सभी अति पिछले जिलों का सर्वे कर भारत सरकार को रिपोर्ट तलब करेगी. जिसके बाद इन जिलों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए मॉडर्न हेल्थ डिस्ट्रिक बनाया जायेगा.

2230 आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं दूर कर सके कुपोषण की समस्या
मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं के मद्देनजर पश्चिमी सिंहभूम जिला में समाज कल्याण विभाग का कुल 2230 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. इन आंगनबाड़ी केंद्रों को विभाग ने जिला के प्रखंडों में गर्भवती महिला व बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी दी है. आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविकाओं व सहायिकाओं को गर्भवती महिलाओं की देखभाल करने के साथ उन्हें उचित पोषाहार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है. बच्चों को भी कुपोषण से मुक्त रखने के लिए पोषाहार के साथ उनका टीकाकरण किया जाना है.
वहीं सवाल यह उठता है कि जिले में 2230 आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के बाद भी 49 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के कारण नाटेपन का शिकार कैसे हो रहे हैं. क्या आंगनबाड़ी में गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की देखरेख नहीं की जा रहीं है?
जिले में पांच कुपोषण उपचार केंद्र
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पश्चिमी सिंहभूम जिले में कुल पांच कुपोषण उपचार केंद्र खोला है. यह कुपोषण उपचार केंद्र चाईबासा स्थित सदर अस्पताल, जगन्नाथपुर, मझगांव, चक्रधरपुर व मनोहरपुर में स्थित है. इसमें कुपोषित बच्चों का टीकाकरण करने के साथ उनका उपचार किया जाता है, लेकिन बावजूद स्थित जस की तस है. इसके अलावा खूंटपानी प्रखंड में सीमेम कार्यक्रम संचालित हो रहा है
रिपोर्ट: नीति आयोग के सर्वे में हुआ खुलासा
कुपोषण के कारण बच्चों का नहीं हो रहा समुचित विकास
मुख्य कारण जन्म से पूर्व मां को उचित पोषाहार नहीं मिलना है
प्रधानमंत्री ने भी मामले को गंभीरता से लिया
एनएचआरसी की टीम सर्वे कर रिपोर्ट तलब करेगी
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए मॉडर्न हेल्थ डिस्ट्रिक्ट बनेगा
प्रत्येक ब्लॉक का होगा अपना पोषक स्कोर कार्ड
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए नीति आयोग ने पोषक के कई इंडिकेटर मानक तय किये हैं. इन पोषक इंडिकेटर के माध्यम से प्रखंडवार सभी ब्लॉक की मॉनीटरिंग की जायेगी. इसके लिए सभी ब्लॉक का स्कोर कार्ड बनाया जायेगा. पोषक इंडिकेटर के आधार पर मॉनीटरिंग कर प्रत्येक ब्लॉक का स्कोर कार्ड अपडेट किया जायेगा. इन पोषक स्कोर कार्ड के आधार पर तय किया जायेगा कि जिले के किस ब्लॉक में बच्चों में पोषक तत्वों की संख्या सबसे कम है. इससे कुपोषण को दूर करने में सहायता मिलेगी.
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ करने की कवायद तेज
नीति आयोग ने नेशनल हेल्थ रिसोर्स सेंटर नयी दिल्ली के पदाधिकारी ने चाईबासा स्थित सदर अस्पताल का निरीक्षण किया है. जिला में कुशल व गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ बनाया जायेगा. इसके लिए अत्याधुनिक संसाधनों का उपयोग करने के लिए स्थान आदि का चयन किया जा रहा है. इसके बाद जिले के अस्पतालों को अपग्रेड किया जायेगा. इसके तहत कई पदों पर स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती होगी, ताकि प्रखंड के सभी पीएचसी, सीएचसी, सब सेंटर व अवेयरनेश सेंटरों में स्वास्थ्य कर्मियों को पदस्थापित किया जा सके. इसके लिए नीति आयोग ने कई पोषक इंडिकेटर तय किये हैं. इसे जिलेवार अस्पताल प्रबंधकों को सौंपा जायेगा. इन इंडिकेटरों के अनुरूप जिले में प्रखंडवार प्रत्येक ब्लॉक की स्कैनिंग की जायेगी. इसके बाद जिले को मॉडल हेल्थ डिस्ट्रिक घोषित करने की कवायद शुरू कर दी जायेगी.
भारत सरकार के सर्वे के अनुसार कुपोषण के कारण पश्चिमी सिंहभूम जिले के 49 प्रतिशत बच्चे नाटेपन के शिकार हो चुके हैं. गर्भवती महिला व बच्चों को उचित पोषक युक्त भोजन नहीं मिल पाना इसका मुख्य कारण है.
– हिमांशु भूषण बरवार, सीएस, सदर अस्पताल.

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