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एक करोड़ का इनामी किशन दा जिंदा है, बीमारी के कारण 4 लोगों के कंधों पर खटिया से चलते हैं

पुलिस गिरफ्त में आये नक्सली संगठन के सैक सदस्य संदीप दा ने पुलिस को बताया चाईबासा : एक करोड़ रुपये का इनामी पोलित ब्यूरो मेंबर किशन दा उर्फ प्रशांत बोस उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ की मौत नहीं हुई है. वह जिंदा है. बीमार होने के कारण चार लोगों के कंधे पर खटिया के जरिये सफर […]

पुलिस गिरफ्त में आये नक्सली संगठन के सैक सदस्य संदीप दा ने पुलिस को बताया

चाईबासा : एक करोड़ रुपये का इनामी पोलित ब्यूरो मेंबर किशन दा उर्फ प्रशांत बोस उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ की मौत नहीं हुई है. वह जिंदा है. बीमार होने के कारण चार लोगों के कंधे पर खटिया के जरिये सफर करता है. कोल्हान डीआइजी साकेत कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस के गिरफ्त में आया सैक सदस्य संदीप दा ने पुलिस की पूछताछ में यह खुलासा किया है. उसने पुलिस को बताया कि किशन दा अभी सारंडा के इलाके में सक्रिय है. कुछ माह पहले उसकी मुलाकात किशन दा से हुई थी. संदीप के खुलासे के साथ किशन दा की बीमारी से मौत की झूठे अफवाह से पर्दा उठ गया है.
डीआइजी ने बताया कि संदीप के साथ चाईबासा जेल ब्रेक में भागे दो कुख्यात नक्सलियों में एक गिरिडीह जिले के पीरटांड़ थाने के नवाडीह टोला कांडेडीह निवासी धीरेन दा उर्फ गिरीश दा उर्फ महरु महतो उर्फ उत्तम दा उर्फ नारायण महतो उर्फ पांडे जी उर्फ बड़का दा को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
जेल से भागा निर्भय जी बोकारो में सक्रिय
संदीप के साथ चाईबासा जेल से भागा कुख्यात नक्सली गिरिडीह जिले के डुंगरी थाना अंतर्गत जरीडीह निवासी निर्भय जी उर्फ हेंब्रम उर्फ रघुनाथ हेंब्रम वर्तमान बोकारो में सक्रिय है. जेल से भागने के बीद तीनों सारंडा में जोनल कमांडर बनकर नक्सली दस्ते को चला रहे थे. धीरेन दा के गिरफ्तारी के बाद निर्भय जी बोकारो चला गया. जहां वह अभी भी दस्ते के लिये सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है. वहीं लगातार संदीप दा के साथ टच में बना हुआ है.
संदीप पर झारखंड व ओड़िशा सरकार ने जारी किये थे इनाम
नक्सली संदीप दा उर्फ मोतीलाल सोरेन उर्फ संदीप सोरेन उर्फ ललित उर्फ सुजय के ऊपर झारखंड व ओड़िशा सरकार ने इनाम की घोषणा कर रखी है. झारखंड पुलिस ने संदीप पर 25 लाख का इनाम रखा है. वहीं ओड़िशा पुलिस ने उसके ऊपर 20 लाख का इनाम रखा हुआ है. वह 17 सालों से संगठन के लिये काम कर रहा है. वह एक दफा पुलिस के हाथ में आया था. लेकिन 2011 में वह जेल ब्रेक कर भाग निकला. झारखंड में उसके खिलाफ 36 मामले दर्ज है. जबकि ओड़िशा में एक दर्जन मामले उसके खिलाफ चल रहें है.
संदीप के दस्ते में पांच से 9 सदस्य
संदीप के दस्ते में पांच से 9 सदस्य होने का पुलिस अनुमान कर रही है. डीआइजी ने बताया कि पूछताछ में संदीप कभी अपने दस्ते के सदस्यों की संख्या पांच बताया तो कभी सात व कभी 9 बताता. जिसके कारण अनुमान है कि कुछ के छुट्टी में रहने के कारण उसके दस्ते में पांच सदस्य रहते होंगे.
दस्ते से जोड़ने के लिये बनायी फुटबॉल टीम
नक्सली दस्तों में ग्रामीणों को जोड़ने के लिये संदीप द्वारा क्लिन चाईबासा ग्रीन चाईबासा नामक फुटबॉल टीम का गठन किया गया. जिसमें जहां दस्ते के कुछ सदस्य खिलाड़ी के भूमिका थे. जबकि अन्य खिलाड़ियों में ग्रामीण युवकों को शामिल किया गया था. उनकी टीम गुवा, जेटिया, टोंटो थाना क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में होने वाली फुटबॉल मैचों में भाग लेती. टीम के खिलाड़ियों के साथ दस्ते के सदस्य जहां पर भी खेल होते वहां के ग्रामीणों के साथ घुल मिलकर उन्हें संगठन में जोड़ने के लिये काम करती.

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