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जैंतगढ़ : वैतरणी नदी घाट पर श्रद्धालु देते हैं अर्घ

जैंतगढ़ : जैंतगढ़ में करीब सौ व्रती छठ पूजा करते हैं. वहीं हजारों श्रद्धालु वैतरणी नदी छठ घाट पर अर्घ देते हैं. घाट की सफाई, नदी में बाढ़ लगाना, अस्थायी पुल बनाना, पहुंच पथ की मरम्मती, झाड़ियों की सफाई, रोशनी की व्यवस्था युवक व श्रद्धालु करते हैं. दो वर्ष पहले पुल बहा, परेशानी : विगत […]

जैंतगढ़ : जैंतगढ़ में करीब सौ व्रती छठ पूजा करते हैं. वहीं हजारों श्रद्धालु वैतरणी नदी छठ घाट पर अर्घ देते हैं. घाट की सफाई, नदी में बाढ़ लगाना, अस्थायी पुल बनाना, पहुंच पथ की मरम्मती, झाड़ियों की सफाई, रोशनी की व्यवस्था युवक व श्रद्धालु करते हैं.

दो वर्ष पहले पुल बहा, परेशानी : विगत वर्ष छठ घाट पर बना पुल बह गया. यह पुल पहुंच पथ पर जैंतगढ़ नाला में बना था. पुल को बहे दो वर्ष होने को है. अबतक इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है. उक्त पुल विधायक निधि से बना था. श्रद्धालु अस्थायी बांस का पुल बनाकर नाला पार करते हैं. बीते दिनों हुई बारिश के कारण छठ घाट जान वाली सड़क जगह-जगह दलदल हो गयी है. गड्ढे के साथ फिसलन भी है.
छठ पूजा : लौकी का होता है विशेष महत्व
नहाय-खाय (आज) के दिन व्रती निकट के किसी तालाब, जलाशय, नदी में स्नान करते हैं. ऐसा संभव नहीं हो तो घर पर स्वच्छ जल से स्नान किया जा सकता है. स्नान के बाद अरवा चावल, चने की दाल, स्वच्छ आटे की रोटी बनती है. इस दिन विशेष तौर पर लौकी खायी जाती है. इसलिए गाय के घी में लौकी की सब्जी व अन्य व्यंजन तैयार किये जाते हैं. इसे गणपति देव, सूर्यदेव, छठ मइया और कुल देवी-देवताओं को अर्पण करने के बाद सबसे पहले व्रती ग्रहण करती हैं.
परिजनों व मित्रों में बांटे जाते हैं व्यंजन : इस दिन घर में भोजन के रूप में इन्हीं व्यंजन को ग्रहण किया जाता है. व्रती के बाद व्यंजन को परिजनों, मित्रों और कुटुंबों में बांटा जाता है. वैसे तो व्रती सुविधानुसार नहाय-खाय का विधान सूर्योदय से लेकर शाम तक किसी समय कर सकती हैं. पंडित एके मिश्रा के मुताबिक इसका शुभ समय सुबह 8:39 से दोपहर 12:54 बजे तक है. अगले दिन बुधवार, 25 अक्तूबर को खरना (लोहंडा) है. इसलिए व्रती और परिजन इसकी तैयारी में लग जाते हैं.
नहाय-खाय विधि
1. सबसे पहले घर की पूरी साफ-सफाई कर लें. सुबह नदी तालाब, कुआं या चापाकल में नहा कर शुद्ध साफ वस्त्र पहनते हैं. अगर घर के पास गंगा जी हैं, तो नहाय खाय के दिन गंगा स्नान जरूर करें. यह बहुत शुभ होता है.
2. छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाती है. उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं.
3. बासमती शुद्ध अरवा चावल बनाते हैं. गणेश जी और सूर्य को भोग लगाकर व्रती सेवन करती हैं.
4. घर के सभी सदस्य भी यही खाते हैं.
5. घर के सदस्य को मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना. रात को भी घर के सदस्य पुड़ी सब्जी खाकर सो जाते हैं. व्रत रखने वाली महिला या पुरुष जमीन पर सोते हैं.
6. अगले दिन खरना मनाया जाएगा.
7. साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छूएं.

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