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सारंडा, कोल्हान व पोड़ाहाट के जंगल होंगे नक्सलमुक्त, मॉक ड्रिल किया गया

वायुसेना का हेलीकॉप्टर निरंतर विभिन्न क्षेत्रों में कर रहा है मॉक ड्रिल किरीबुरू : सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट के जंगलों में माओवादियों व पीएलएफआइ नक्सलियों के खिलाफ वृहद स्तर पर ऑपरेशन चलाने की तैयारी चल रही है. इसके मद्देनजर वायुसेना का एक विशेष हेलीकॉप्टर सोमवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे मेघाहातुबुरू स्थित फुटबॉल मैदान में […]

वायुसेना का हेलीकॉप्टर निरंतर विभिन्न क्षेत्रों में कर रहा है मॉक ड्रिल

किरीबुरू : सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट के जंगलों में माओवादियों व पीएलएफआइ नक्सलियों के खिलाफ वृहद स्तर पर ऑपरेशन चलाने की तैयारी चल रही है. इसके मद्देनजर वायुसेना का एक विशेष हेलीकॉप्टर सोमवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे मेघाहातुबुरू स्थित फुटबॉल मैदान में उतरा. हालांकि यह हेलीकॉप्टर कुछ सेकेंड तक रुका, इसके बाद पुनः उड़ान भर लिया.
इस दौरान हेलीकॉप्टर से न तो कोई अधिकारी उतरा और न ही चढ़ा. सीआरपीएफ के अधिकारी इसे सामान्य अभ्यास प्रक्रिया मॉक ड्रिल बताते रहें. हेलीपैड स्थल पर सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी दीपक मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में जवानों ने सुरक्षा का अभेद घेरा बना रखा था. इसके अलावा एम्बुलेंस, पानी टैंकर समेत अन्य व्यवस्थाएं की गयी थी. सूत्रों का कहना है कि 12 सितम्बर को सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस के कुछ बड़े अधिकारी किरीबुरू पहुंचेंगे.
यहां नक्सलियों को लेकर विशेष रणनीति बनेगी, ताकि साल 2018 तक जिले से नक्सलियों के सफाया किया जा सके. इससे पहले सोनुवा में भी एक हेलीकॉप्टर ने लैंड किया था.
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नक्सलियों के ठिकानों की हो चुकी है ट्रैकिंग
सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस ने सारंडा, पोड़ाहाट व कोल्हान के जंगल में कुछ वर्षों के दौरान विभिन्न ऑपरेशन, सर्च अभियान चलाकर यहां की तमाम पहाड़ियों, नक्सलियों के छिपने, ठहरने के स्थान, उनके भागने के रास्तों का जीपीएस सिस्टम व अन्य तकनीकों से जीआर (ग्रिड रीडिंग) हो चुकी है. पिछले दिनों गुवा थाना क्षेत्र के बुरूराईका में हुई मुठभेड़ स्थल की पहाड़ी से लेकर संदीप के दस्ते के ठहर कर खाना खाने वाले तितलीघाट के समीप दुआरगुईया की पहाड़ी, संगाजाटा आदि तमाम पहाड़ियों का जीआर ली जा चुकी है.
क्या है जीआर
जीआर के जरिये किसी विशेष क्षेत्र व पहाड़ियों का ग्रिड (आकलन) निकाला जाता है. यह विशेष मशीन के निकाला जाता है. जीआर रीडिंग के तहत पहाड़ की ऊंचाई से लेकर इसकी दिशा उतार-चढ़ाव तमाम जानकारियां हासिल की जाती हैं. नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन में जीआर बहुत कारगर साबित होता है. सीआरपीएफ अथवा पुलिस ने सारी पहाड़ियों की जीआर लेकर सुरक्षित कर चुकी है.
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