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मजदूर दिवस 2023: झारखंड के मुसाबनी की अधिकतर खदानें बंद, 1500 मजदूर बेरोजगार

आर्थिक तंगी के कारण समय पर उचित इलाज के अभाव में अब तक सुरदा माइंस के 3 दर्जन से अधिक ठेका मजदूरों की असमय मौत हो गयी है. इन मृत ठेका मजदूरों के परिवारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. सुरदा माइंस का मामला कागजी प्रक्रिया में उलझ कर रह गया है.

मुसाबनी, अशोक सतपथी. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी की अधिकांश ताम्र खदानें बंद हैं. सुरदा माइंस लगभग तीन साल से बंद है. इसमें काम करने वाले करीब डेढ़ हजार मजदूर बेकार बैठे हैं. सुरदा माइंस में मुट्ठी भर मजदूरों को आवश्यक सेवा एवं खनन विकास के नाम पर रोजगार मिल रहा है. बाकी मजदूर लंबे समय से बेरोजगार हैं. सुरदा माइंस के करीब 250 मजदूर 3 वर्षों से अधिक समय से बेरोजगार हैं. वहीं सुरदा फेज टू के 110 मजदूर भी पिछले 3 वर्षों से अधिक समय से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. ठेका मजदूरों के परिवारों के दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है.

आर्थिक तंगी के कारण समय पर उचित इलाज के अभाव में अब तक सुरदा माइंस के 3 दर्जन से अधिक ठेका मजदूरों की असमय मौत हो गयी है. इन मृत ठेका मजदूरों के परिवारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. सुरदा माइंस का मामला कागजी प्रक्रिया में उलझ कर रह गया है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच मामला उलझा हुआ है. अधिकतर ठेका मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन कर गये हैं. वहीं कई मजदूर इधर-उधर दैनिक मजदूरी के लिए भटक रहे हैं.

मुसाबनी कंसंट्रेटर प्लांट में कार्य करने वाले करीब 200 ठेका मजदूर भी प्लांट बंद होने के कारण बेरोजगार हैं. मजदूर दिवस पर कभी क्षेत्र में जश्न का माहौल रहता था, अब सन्नाटा छाया रहता है. मजदूर दिवस को लेकर मजदूरों में कोई उत्साह नहीं है. मजदूर प्रतिदिन रोजगार की आस लेकर सुरदा माइंस एवं प्रशासनिक भवन सुरदा का चक्कर लगाकर निराश हो चुके हैं. इन ठेका मजदूरों की जिंदगी में आस जगाने वाले मसीहा की तलाश है.

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