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स्वर्वेद चेतन प्रकाश है, जो अंधकार मिटाता है : विज्ञान देव

सदगुरु सदाफल देव जी महाराज विहंगम योग संस्थान के संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज की अगुवाई में कश्मीर से प्रारंभ हुई राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद संदेश यात्रा रविवार को सिमडेगा पहुंची.

सिमडेगा. सदगुरु सदाफल देव जी महाराज विहंगम योग संस्थान के संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज की अगुवाई में कश्मीर से प्रारंभ हुई राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद संदेश यात्रा रविवार को सिमडेगा पहुंची. विहंगम योग संत समाज के 102 वें वार्षिकोत्सव को समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव के रूप में उमरहां वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में 25 एवं 26 नवंबर को बहुत ही भव्यता एवं दिव्यता के साथ मनाया जायेगा. उपरोक्त भव्य आयोजन के प्रचार प्रसार और व्यक्तिगत रूप से आमंत्रण देने के निमित्त संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज कश्मीर से कन्याकुमारी तक स्वर्वेद संदेश यात्रा कर रहे हैं. उनके आगमन पर विहंगम योग संत समाज सिमडेगा के द्वारा समाहरणालय के निकट स्वागत किया गया.इसके बाद जयकारा लगाते हुए लोग प्रिंस चौक पहुंचे. यहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया. इसके बाद नगर भवन में आयोजित समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए. कार्यक्रम में संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी, दर्शन सानिध्य के साथ उनके हाथों से प्रसाद प्राप्त करने का सौभाग्य सभी को मिला. अपने प्रवचन में उन्होंने विहंगम योग के प्रणेता अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की तपस्या और साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी साधना का ही परिणाम है कि मानवता को स्वर्वेद जैसा अमूल्य महाशास्त्र प्राप्त हुआ. संत प्रवर जी ने बताया कि स्वर्वेद चेतन प्रकाश है, जो अज्ञान और अंधकार को मिटाकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है. महाराज जी ने कहा साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग है.जब इंसान खुद से जुड़ता है, तभी वह परमात्मा से भी जुड़ता है.मानव जीवन का उद्देश्य केवल शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति तक सीमित नहीं है. जीवन का असली मकसद है लोककल्याण, आत्मजागरण और ईश्वर-साक्षात्कार. उन्होंने समझाया कि जीवन की सभी जटिलताओं की जड़ मन में छिपी होती है. यदि मन साध लिया जाए तो जीवन स्वयं सरल हो जाता है.संत विज्ञान देव जी महाराज ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा जिसमें वायु के समान वेग है, उमंग है, उत्साह है, वही युवा है. जो परिस्थितियों का दास नहीं बल्कि स्वामी है, वही सच्चा युवा है. उन्होंने युवाओं से लक्ष्य पर अडिग रहने, निराश न होने और समाज व राष्ट्रहित में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया.

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