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फोटो-अहंकार, लोभ और द्वेष का त्याग करने से मिलती है शांति: डॉ राम सहाय

मदर टेरेसा कॉलेज ऑफ नर्सिंग के सभागार में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन किया गया

फोटो फाइल: 28 एसआइएम:6-प्रवचन देते डॉ रामसहाय,7-कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु

बानो. मदर टेरेसा कॉलेज ऑफ नर्सिंग के सभागार में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन किया गया. अंतिम दिन प्रातःकाल से ही कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी. इस मौके पर डॉ राम सहाय त्रिपाठी जी महाराज ने श्रीमद्भागवत के सार तत्व को अत्यंत सरल, मार्मिक और प्रेरणादायी कथा शैली में प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं के हृदय को स्पर्श किया. उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन को व्यवस्थित करने और आदर्श मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने वाला जीवन-दर्शन है. भागवत मनुष्य को भक्ति, करुणा, सेवा और सत्य के मार्ग पर अग्रसर करता है. उन्होंने राजा परीक्षित और शुकदेव जी के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि मृत्यु का भय और जीवन की अस्थिरता का समाधान केवल प्रभु नाम-स्मरण और निष्काम भक्ति से ही संभव है. उन्होंने कहा कि जब मनुष्य अपने भीतर अहंकार, लोभ और द्वेष का त्याग कर भगवान के चरणों में समर्पण करता है, तभी उसे सच्ची शांति और आनंद की अनुभूति होती है. महाराज के प्रवचनों ने श्रोताओं को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया और जीवन के मूल उद्देश्यों को समझने का अवसर प्रदान किया.कथा स्थल पर वातावरण उस समय अत्यंत भावुक हो गया, जब विश्राम आरती आरंभ हुई. मुख्य यजमान डॉ प्रह्लाद मिश्रा ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा उनके जीवन का अविस्मरणीय और प्रेरणादायी अनुभव है.

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