सिमडेगा. शहर के सरना स्थल पर बुधवार को केंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में प्रकृति का पर्व करमा विधि-विधान व पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया. इसकी शुरुआत करम की डाली स्थापित कर की गयी, जिसका स्वागत पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ किया गया. इसके बाद केंद्रीय सरना समिति के पदाधिकारी व ग्रामीणों की उपस्थिति में पाहन बाबूलाल उरांव ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा कर करम पर्व की औपचारिक शुरुआत की. इस दौरान पर्व से जुड़ी कथा सुनायी गयी. पूजा के बाद देर रात तक मांदर की थाप और नगाड़ों की गूंज के बीच पारंपरिक झूमर नृत्य का दौर चलता रहा. युवा, महिलाएं व बच्चे पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर उत्साह के साथ नृत्य में शामिल हुए. आयोजन स्थल पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. मौके पर विहिप जिलाध्यक्ष कौशल राज सिंह देव ने कहा कि करम पर्व आदिवासी समाज की आस्था व एकजुटता का प्रतीक है, जो मानव व प्रकृति के बीच अटूट संबंध को दर्शाता है. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्र भगत ने कहा कि करम पर्व समाज को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ने वाला पर्व है, जिसे नयी पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है. मौके पर केंद्रीय सरना समिति के सचिव विजय उरांव, मनोज उरांव, खुनवा उरांव, बंधन उरांव, संजय उरांव, बिरसा मुंडा, रोहित उरांव, रवींद्र भगत, विवेक उरांव, विनोद टोप्पो, ललिता उरांव, अंजलिना बरला, सुष्मिता बरला, रूकवंती उरांव, सरस्वती देवी आदि उपस्थित थे.
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