सिमडेगा. शहरी क्षेत्र के अलावा पूरे जिले में निर्जला व्रत हरितालिका तीज मनाया गया. आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करायी. महिलाओं ने भी सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना कर पति की दीर्घायु कामना की. इधर, थाना परिसर स्थित हनुमान वाटिका मंदिर, सलडेगा देवी गुड़ी मंदिर, ठाकुरटोली शिव मंदिर, गुलजार गली समेत अन्य धार्मिक स्थलों व घरों में भी तीज पर्व मनाया गया. सदर थाना स्थित हनुमान वाटिका मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से तीज पर्व पर पूजा-अर्चना की. शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धा व उल्लास के साथ पूजा की गयी. पंडित सोमनाथ मिश्रा ने हरितालिका तीज व्रत की कथा सुनायी गयी. उन्होंने बताया अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हरितालिका तीज मनाया जाता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुहागन महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां हरितालिक तीज का व्रत रखती हैं. इस व्रत में माता पार्वती व भगवान शिव की पूजा करते हैं. हरितालिका तीज व्रत के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि सबसे पहले देवी पार्वती ने ही यह व्रत किया था. पार्वती शिव जी को पति रूप में पाना चाहती थीं और इसी कामना को पूरा करने के लिए देवी ने हरितालिका तीज से कठोर तप शुरू किया. देवी के तप से शिव जी प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी को मनचाहा वर दिया था. इसके बाद पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ था. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा करती हैं. मौके पर महिलाओं ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भर कर अखंड सौभाग्य की कामना की.
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