जनगर. राजनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू की उपस्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि तथाकथित अबुआ सरकार झारखंड की जनसांख्यिकी को बदलने और राज्य की अस्मिता को कमजोर करने की साजिश रच रही है. उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को बसाकर मूलवासी-आदिवासी समाज की पहचान पर प्रहार किया जा रहा है. कहा कि झारखंड की भूमि और अस्मिता की रक्षा के लिए आदिवासी वीरों ने लगातार संघर्ष किया. 1770 में बाबा तिलका मांझी, वीर रघुनाथ सिंह द्वारा संचालित चुआड़ विद्रोह, कोल्हान के वीर पोटो हो, सिदो-कान्हू, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, वीर टाना भगत और वीर तेलंगा खड़िया जैसे योद्धाओं के बलिदानों से भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ. उन्होंने कांग्रेस सरकारों पर आदिवासी समाज के योगदान को दबाने और आंदोलनों को कुचलने का आरोप लगाया. चंपाई सोरेन ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र के ईचा डैम आंदोलन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गंगाराम कालूंडिया पर गोली चलवाना इस दमनकारी रवैये का उदाहरण है.
केंद्र में भाजपा नहीं होती, तो नहीं बनता झारखंड राज्य
चंपाई सोरेन ने कहा है कि कांग्रेस ने झारखंड के अलग राज्य बनने की मांग को हमेशा दबाने की कोशिश की, जबकि भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनने पर 15 नवंबर 2000 को भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर झारखंड के अलग राज्य के गठन का ऐतिहासिक निर्णय हुआ. अगर उस समय केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं होती, तो झारखंड आज भी अलग राज्य बनने की प्रतीक्षा में होता.15 नवंबर से उलगुलान की शुरुआत, 22 दिसंबर को भोगनाडीह में बड़ा खुलासा
चंपाई सोरेन ने बताया कि 15 नवंबर से बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से आदिवासी अस्मिता और स्वशासन की रक्षा के लिए उलगुलान (आंदोलन) की शुरुआत होगी, जो 22 दिसंबर को सिदो-कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में जनसभा के साथ समाप्त होगी. इस जनसभा में लाखों आदिवासी एकत्रित होंगे और वे अबुआ सरकार के आदिवासी विरोधी चेहरे का पर्दाफाश करेंगे.
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