सरायकेला.
जगन्नाथ धाम पुरी की तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाली परंपरागत रथयात्रा के तहत महाप्रभु श्री जगन्नाथ भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रविवार को श्रीमंदिर पहुंच गये. श्रीमंदिर वापस आने पर शंख व हुलहुली ध्वनि से महाप्रभु का स्वागत किया गया. वहीं सिंहासन में आरूढ़ कराया गया. भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा रथयात्रा शनिवार को शुरू हुई थी. भाई-बहन संग प्रभु मौसीघर (गुंडिचा मंदिर) से वापस श्रीमंदिर को निकले थे, जहां बड़दांड़ कालूराम चौक में रात्रि विश्राम किया. बड़दांड़ में रथ पर सवार प्रभु जगन्नाथ का भक्तों ने दर्शन कर पूजा-अर्चना की. इसके बाद नंदीघोष पर सवार होकर वापस श्रीमंदिर पहुंचे. सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने जय जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए रथ को खींच कर ले आये, जहां से महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बड़े भाई बलभद्र के विग्रह को कंधे पर उठाकर श्रीमंदिर तक लाया गया. श्रीमंदिर स्थित सिंहासन पर विराजमान करने के बाद पंडित ब्रह्मानंद महापात्र, सानो आचार्य ने विधि-विधान से महाप्रभु का स्वागत और पूजा-अर्चना की. इसके बाद देवशयनी एकादशी रविवार होने के कारण सोमवार से महाप्रभु श्री जगन्नाथ चातुर्मास शयन के लिए चले गये. मान्यता है कि रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. मौके पर जगन्नाथ सेवा समिति के सभी अधिकारी और सदस्य सहित दर्जनों की संख्या में जगन्नाथ भक्त श्रीमंदिर में मौजूद रहे.
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