Kudmi Protest, सरायकेला, (प्रताप मिश्रा): कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में शुक्रवार को मांझी परगना महाल और सिंय दिशोम परगना संगठन की अगुवाई में जिला मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन हुआ. हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे और सरना धर्म कोड को अविलंब लागू करने की मांग की. प्रदर्शन के बाद संगठन के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि कुड़मी समुदाय का एसटी सूची में शामिल होने का दावा पूरी तरह निराधार है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.
कुड़मी की संस्कृति आदिवासी समाज के सामाजिक ढांचे से मेल नहीं खाती
ज्ञापन के अनुसार, कुड़मी समुदाय आदिवासी समाज की पारंपरिक संस्कृति, पूजा-पद्धति, रहन-सहन और सामाजिक ढांचे से मेल नहीं खाता. जनजातीय शोध संस्थान, रांची ने भी अपने अध्ययन में स्पष्ट किया है कि कुड़मी महतो समुदाय को एसटी में शामिल नहीं किया जा सकता. संगठन ने दावा किया कि कुड़मी समुदाय की भाषा ‘कुरमाली’ आर्य भाषा समूह से जुड़ी है, और वे स्वयं को शिवाजी महाराज के वंशज बताते हैं. इसके अलावा, उन्होंने पूर्व में पेसा कानून 1996 का विरोध किया है और ओबीसी आरक्षण के पक्षधर रहे हैं.
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कुड़मी समुदाय का आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित
आदिवासी संगठनों का आरोप है कि कुड़मी समुदाय का यह आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसका असली उद्देश्य आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन और आरक्षण के अधिकार पर कब्जा करना है. प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों में फकीर महोन टुडु, दिवाकर सोरेन, राजेश टुडु, पिथो मार्डी, सावित्री मार्डी, विरमल बास्के, सुंदर मोहन हांसदा, सावन सोय, गणेश गागराई, श्यामल मार्डी, बबलु मुर्मू, दुर्गा चरण मुर्मू, भागवत बास्के सहित कई प्रतिनिधि मौजूद रहे.
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