खरसावां. खरसावां में पारंपरिक रस्मों को निभाते हुए महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जायेगी. मालूम हो कि खरसावां में शुरुआत के दिनों में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा पं गोविंद दाश के घर में पूजे जाते थे. राजबाड़ी के पास बह रही सोना नदी के तट पर भगवान जगन्नाथ की शक्ल में मिली लकड़ी से प्रभु की प्रतिमा बनाकर दाश परिवार ने पूजा शुरू की थी. बाद में खरसावां के तत्कालीन राजा ने प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमा को दाश परिवार के यहां से राजमहल में लाकर पूजा शुरू की. राजबाड़ी परिसर में ही प्रभु जगन्नाथ का मंदिर भी बनाया गया है. खरसावां में रथयात्रा के दौरान सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया जाता है. खरसावां राजघराने के राजा गोपाल नारायण सिंहदेव की ओर से छेरा पहंरा की रस्म को पूरा करने बाद ही प्रभु जगन्नाथ का रथ निकलता है. हेरा पंचमी पर भी मां लक्ष्मी द्वारा रथ भंगिनी की परंपरा को भी निभाया जाता है. पिछले वर्ष ही ओडिशा के कुशल कारीगरों ने रथ का निर्माण किया था. खरसावां में प्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. आम से लेकर खास मेहमान पहुंचते हैं. इस वर्ष रथ यात्रा के दौरान कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

