खरसावां.
मुरुप गांव में दुर्गा पूजा पर भक्तों की आस्था और भक्ति का अद्भुत प्रदर्शन होता है. यहां सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज के आधुनिक युग में भी जारी है, जो गांव की सबसे बड़ी पहचान है. देवी दुर्गा मां के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और उनकी असीम कृपा के कारण यह आयोजन खास महत्व रखता है. ग्रामीण दुर्गा भक्त हेमसागर प्रधान के अनुसार, यहां मन्दिर में स्थापित देवी प्रतिमा की पूजा दशमी से 16 दिन पहले जिउतिया से शुरू हो जाती है. दशमी के बाद एकादशी के दिन भव्य पूजा-अर्चना होती है, जो इस वर्ष 3 अक्तूबर को स्थानीय जलाशय से जल ले जाने और दंडी पाठ के साथ मन्दिर परिसर में सम्पन्न होगी. पूजा के दौरान भक्तों द्वारा मां को प्रसन्न करने के लिए आकर्षक और हैरतअंगेज करतब दिखाए जाते हैं. मन्दिर परिसर में मां पाउड़ी के समक्ष 20 फीट लंबा और दो फीट चौड़ा अग्निकुंड बनाया जाता है, जहां अग्नि कुमारी की पूजा की जाती है. पूजा के पश्चात भक्त अग्निकुंड पर नंगे पांव दौड़ लगाते हैं और यह माना जाता है कि देवी की कृपा से उनके पांव में छाले तक नहीं पड़ते. इसके अलावा, भक्त कंटीले झाड़ियों पर लेटकर अपनी भक्ति की परीक्षा देते हैं.हर साल आस-पास के इलाकों से आते हैं भक्त
प्रति वर्ष आसपास के जिलों से भी हजारों श्रद्धालु इन करतबों को देखने मुरुप आते हैं, जिसकी देखरेख शुभनाथ युवा क्लब करता है. क्लब के अध्यक्ष अजीत प्रधान ने बताया कि इस बार भी पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं. युवा वॉलंटियर श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर रहेंगे.मन्नत पूरी होने पर मां को धन्यवाद देने आते हैं भक्त
मंदिर में पूजा-पाठ कई वर्षों से पुजारी पंडित रामानाथ होता, गौर दास और देहुरी कुथलु प्रधान द्वारा संचालित होता है. पुजारी रामानाथ होता ने बताया कि माता की कृपा से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं. पुजारी गौर दास ने कहा कि नंगे पांव अग्निकुंड पर चलते हुए भी भक्तों के पांव में कोई चोट नहीं लगती. देहुरी कुथलु प्रधान ने बताया कि भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर मां को धन्यवाद देने के लिए भी यहां आते हैं.
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