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कादिर नगर व अंबाडीहा नया टोला गांव बुनियादी सुविधाओं से है वंचित, ना सही सड़क ना बिजली ना पानी की है व्यवस्था

कादिर नगर व अंबाडीहा नया टोला गांव बुनियादी सुविधाओं से है वंचित, ना सही सड़क ना बिजली ना पानी की है व्यवस्था

साहिबगंज. जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर मंडरो प्रखंड अंतर्गत अम्बडीहा पंचायत के कादिर नगर और नया टोला गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. इन दोनों गांवों में ना सही से चलने लायक सड़कें हैं और ना बिजली की पर्याप्त व्यवस्था है. इन सभी मूलभूत समस्याओं को लेकर प्रभात खबर अखबार द्वारा रविवार को प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता पंचायत के उप मुखिया रोशन बीवी ने की. संवाद के दौरान गांव में सही से पानी के लिए चापानल और कुआं की व्यवस्था नहीं है. कहा जा सकता है कि इस गांव में कई समस्याएं लंबे समय से मुंह बाये खड़ी है. गांव के लोग समस्याओं के निदान के लिए अपने स्तर से जनप्रतिनिधि या अधिकारी गुहार लगाते रहे हैं. निश्चित रूप से गुहार के बाद जिला प्रशासन ने अपने स्तर से गांव के विकास के लिए प्रयास किया है. लेकिन गांव के अनुकूल विकास नहीं हो पाया. मनरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से तालाब, चापानल लगवाया गया, जिससे पेयजल की समस्या दूर हो जाए परंतु ऐसा नहीं हो पाया. बरसात के मौसम में पानी रहता है. बाकी सूख जाता है और इस प्रकार गांव में लगभग 900 लोग रहते हैं. इतनी बड़ी आबादी में सही से पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग पानी के लिए तरसते हैं. विडंबना है कि बरसात के मौसम में चापानल चलता है. अन्य मौसम में चापानल शोभा की वस्तु बनकर खड़ा रहता है. समस्याओं के इतर गांव वालों की सबसे बड़ी मांग मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है. बताया जाता है कि गांव में सड़कें नहीं हैं. बड़ी मुश्किल से कच्ची सड़कों में लोगों का आवागमन होता है. ग्रामीण क्षेत्र होने के नाते ऐसे क्षेत्र में बिजली की भी व्यवस्था पर्याप्त होनी चाहिए. बिजली विभाग द्वारा पोल तो गढ़ दिया गया लेकिन विद्युत कनेक्शन नहीं है क्योंकि कहीं पोल गाड़ा गया है. तो कहीं तार लगाया गया है. ऐसी स्थिति में बाढ़ का समय है और सूर्य अस्त होने के बाद सांप बिच्छू का डर सताने लगता है. जान-माल का खतरा बना रहता है. कई बच्चे और औरतों को सांप भी काटा है. जिसका इलाज सदर अस्पताल में किया गया है. इसलिए ऐसे ही बड़ी समस्याओं वाली गांव में जिला प्रशासन हो या फिर प्रखंड प्रशासन इस गांव पर विकास की लकीरें खींचने की आवश्यकता है. गांव की उप मुखिया रोशन बीवी बताती है कि एक बड़ी आबादी है जहां मुस्लिम आदिवासी संयुक्त रूप से रहता है. कहीं किसी प्रकार का कोई झगड़ा नहीं है लेकिन सिर्फ झगड़ा जिला प्रशासन से है कि ऐसे गांव में भी विकास की किरणें नहीं पहुंच पा रही है. विडंबना है कि किसी गांव से होकर गंगापुल का रास्ता बना है, इसलिए इस हालत में भी ऐसे गांव का विकास होना चाहिए. मौके पर दर्जनों ग्रामीण महिला व पुरुष उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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