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स्टेडियम में ना लाइट है और ना ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, कूड़ा-कचरा का लगा है अंबार, चहारदीवारी भी हो गयी है जर्जर

स्वामी विवेकानंद स्टेडियम का सौंदर्यीकरण नहीं, बरसात में होती है दिक्कत, सड़क पर दौड़ लगाने को मजबूर युवा

बरहरवा. नगर पंचायत क्षेत्र के नया बाजार स्थित प्लस टू उच्च विद्यालय बरहरवा के स्वामी विवेकानंद क्रीड़ांगण का हाल बद से बदतर हो गया है. हल्की-सी बारिश होने पर मैदान में जलजमाव हो जाता है तथा जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण पूरा मैदान कीचड़मय हो जाता है. ज्ञात हो कि यह मैदान नगर क्षेत्र का एकमात्र बड़ा खेल का मैदान है. जहां प्रतिदिन स्कूली बच्चे व युवा खेलने-कूदने, टहलने व जॉगिंग करने आते हैं. साथ ही कई सरकारी और गैर सरकारी कार्यक्रम यथा स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन होता है. जब प्रभात खबर की टीम ने रविवार को मैदान का जायजा लिया तो जहां-तहां जलजमाव व पूरा मैदान कीचड़मय पाया गया. मैदान का समतलीकरण नहीं होने के कारण कई जगहों पर स्थल उबड़-खाबड़ और गड्ढे पाये गये. मैदान के सभी तरफ बड़े-बड़े घास उगे आये थे. मैदान को हरा-भरा बनाने के लिये चारों ओर लगाये गये पेड़-पौधों में अधिकांश गायब थे तथा इसकी घेराबंदी भी टेढ़ी-मेढ़ी थी. मैदान के मुख्य प्रवेश द्वार तथा स्टेडियम के आस-पास कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ था. वहीं, दो भारी मालवाहक वाहन (ट्रक) भी कई दिनों से मैदान में पड़ा है. वर्षों से स्टेडियम और मैदान का नहीं हुआ है जीर्णोद्धार स्टेडियम की दीवार में लगे शिलापट्ट के अनुसार स्टेडियम का शिलान्यास 2003 में तत्कालीन कला संस्कृति व खेलकूद मंत्री सुदर्शन भगत तथा कृषि मंत्री देवीधन बेसरा द्वारा किया गया था. इस बीच 22 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी आज तक स्टेडियम व मैदान का जीर्णोद्धार नहीं किया गया है. स्टेडियम की देख-रेख वह रखरखाव की व्यवस्था भी भगवान भरोसे ही है. इस कारण मैदान के चारों ओर बनी चहारदीवारी जर्जर हो चुकी है तथा कई स्थानों पर टूटी हुयी भी है. मैदान में बने स्टेडियम में लगा मार्बल झड़ कर गिर रहा है. रंग-रोगन के अभाव में लोहे के ग्रिल्स में जंक लग रहे है. स्टेडियम के नीचे बनाये गये कमरों में ईंट, पत्थर तथा कूड़े-कचरे भरे पड़े है. दरवाजे-खिड़कियां भी टूटी पड़ी है. मैदान के चारों ओर पक्की रास्ता भी नहीं बना है. मैदान के कोने में लगी एक हाई मास्ट लाइट की अधिक लाईट्स खराब पड़ी हैं. सुरक्षा, ओपन जिम व शुद्ध पेयजल की नहीं है व्यवस्था स्टेडियम में सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के लिये सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है. इस कारण अक्सर यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. जिस वजह से बच्चियां स्टेडियम में आने-जाने से कतराती हैं. वहीं, जिस ओपन जिम की व्यवस्था स्टेडियम परिसर में की जानी थी, वह पास ही प्लस टू विद्यालय में बनायी गयी है और वहां विद्यालय समय के बाद ताला लटका रहता है. इस कारण इसका समुचित लाभ लोग नहीं उठा पा रहे हैं. और, स्थानीय युवाओं को निजी जिम का सहारा लेना पड़ रहा है. स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिये शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. एक चापकल है भी तो उसमें अशुद्ध पानी निकलता है. मैदान में प्रवेश के लिए जो मुख्य गेट है, उसके खुलने व बंद होने का कोई उचित प्रबंध नहीं है. वहीं, वर्षों से स्थानीय युवाओं व समाजसेवियों द्वारा स्टेडियम में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगाने की मांग की जा रही है, जो अबतक पूरी नहीं हो सकी है. जब मैदान ही कीचड़मय है, तो कैसे दौड़ लगाएंगे युवा ? प्रभात खबर की टीम ने जब युवाओं से बात की तो उन्होंने खुल कर अपनी पीड़ा साझा की. उन्होंने बताया वे लोग यहां फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन आदि खेलते है. लेकिन, बरसात के दिनों में कीचड़ होने की वजह से वे खेल नहीं पाते हैं. सेना, पुलिस आदि की तैयारी करने वाले युवा सुबह-शाम यहां दौड़ लगाते हैं, लेकिन मैदान के समतलीकरण नहीं होने और मैदान में जलजमाव तथा कीचड़ रहने के कारण मजबूरन उन्हें एनएच 80 में दौड़ना पड़ता है. जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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