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पशुओं के आतंक ने बढ़ायीं मुश्किलें, जान का खतरा

शहर में आवारा जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा

साहिबगंज. शहर में आवारा जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. सांड हो या कुत्ता, इनकी दिनों-दिन बढ़ती संख्या ने शहरवासियों का जीना मुहाल कर दिया है. पिछले छह माह में अकेले साहिबगंज शहरी क्षेत्र में कुत्ता काटने के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इसी तरह सांड की चपेट में आकर एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं या अपनी जान गंवा चुके हैं. केस स्टडी 1 जिरवाबाड़ी क्षेत्र के अर्जुन नगर मोहल्ला निवासी 49 वर्षीय नारायण गुप्ता को 25 अगस्त को पड़ोसी के एक कुत्ते ने बुरी तरह काट लिया. वह गंभीर रूप से घायल हो गए. इस मामले में नारायण गुप्ता ने जिरवाबाड़ी थाना में लिखित शिकायत दी है. पुलिस ने प्राथमिक दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है. केस स्टडी 2: लगभग 7 माह पूर्व तालबन्ना मोहल्ला निवासी राजेश उर्फ राजू केसरी पर एलसी रोड में आर्य समाज मंदिर के सामने एक सांड ने हमला कर दिया. वह लगभग दो माह तक कोमा में रहे और कुछ दिन पहले उनकी मौत हो गई. केस स्टडी 3 तीन माह पूर्व कटिहार से रसूलपुर दहला मोहल्ला आईं 55 वर्षीय सरोजनी देवी पर एक सांड ने उस समय हमला कर दिया जब वह सब्जी मंडी में सब्जी खरीद रही थीं. उनके कमर की हड्डी टूट गई. वह आज भी बिस्तर पर हैं. केस स्टडी 4: तीन दिन पहले रिफ्यूजी कॉलोनी में एक पागल सांड ने हमला कर लगभग आधा दर्जन लोगों को घायल कर दिया. इसमें रिफ्यूजी कॉलोनी निवासी 60 वर्षीय दीना गंभीर रूप से घायल हो गए. बाद में नगर परिषद की ओर से सांड को रेस्क्यू कर पकड़ा गया. केस स्टडी 5 कुछ समय पूर्व एक पागल कुत्ते ने शहर में आतंक मचाते हुए लगभग एक दर्जन लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया. इस हमले में कुछ वकील भी घायल हुए थे. इसके बाद अधिवक्ता संघ ने उपायुक्त को आवेदन देकर आवारा जानवरों को नियंत्रित करने की मांग की थी. अलगडा की परंपरा खत्म लगभग दो दशक पूर्व पश्चिमी रेलवे फाटक के समीप नगर पालिका द्वारा एक अलगडा (पशु शरणस्थली) संचालित किया जाता था. यहां शहर के आवारा पशुओं को पकड़कर रखा जाता था. लेकिन समय के साथ यह व्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो गई. अब आवारा पशुओं की देखभाल की कोई व्यवस्था नहीं है. नगर पालिका इस दिशा में पूरी तरह उदासीन है. फिलहाल आवारा पशुओं का आतंक शहरवासियों को झेलना पड़ रहा है. नगर प्रबंधक की प्रतिक्रिया शिकायत मिलने पर नगर परिषद आवारा पशुओं को पकड़कर अन्यत्र भेजने का काम करती है. हाल ही में रिफ्यूजी कॉलोनी से एक पागल सांड को रेस्क्यू कर अन्यत्र भेजा गया है. बिरेश कुमार, नगर प्रबंधक, साहिबगंज — साहिबगंज सदर अस्पताल में जनवरी से अगस्त तक 1624 मरीजों का हुआ इलाज साहिबगंज सदर अस्पताल में कुत्तों के काटने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. जन औषधि केंद्र के संचालक अंबुज सिंह ने बताया कि जनवरी से अगस्त तक कुल 1624 मरीजों को इंजेक्शन दिया गया. नगर परिषद के पास नहीं है आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने की व्यवस्था साहिबगंज नगर परिषद क्षेत्र समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में लोग इन दिनों आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हैं. रात के समय सड़कों पर निकलने में डर लगता है क्योंकि अधिकतर वार्डों में कुत्ते झुंड में घूमते रहते हैं. ये राहगीरों और बाइक चालकों पर हमला कर देते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है. इन मोहल्लों में सबसे अधिक आतंक तालबन्ना, भरतिया कॉलोनी, दहला दुर्गा स्थान, बनियापट्टी, गुल्लीभट्ठा, पटनियां टोला, रसूलपुर दहला, एलसी रोड, दुसाध पाड़ा, बंगाली टोला, न्यू रोड, चौक बाजार, कृष्णा नगर, हबीबपुर, पुरानी साहिबगंज, कॉलेज रोड, नार्थ कॉलोनी, साउथ कॉलोनी, झरना कॉलोनी, जिरवाबाड़ी. राजमहल अनुमंडल अस्पताल में जनवरी से अगस्त तक 861 मरीज पहुंचे राजमहल अनुमंडल क्षेत्र में कुत्ते और सियार के हमलों में लगातार वृद्धि हो रही है. बाढ़ के कारण आवारा जानवर गांवों में प्रवेश कर रहे हैं. छोटे बच्चों को देखते ही कुत्ते दौड़ पड़ते हैं. हालांकि परिजनों की सजगता से अब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है. प्रत्येक दिन अनुमंडल अस्पताल में औसतन 10 से 15 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इस तरह जनवरी से अगस्त तक कुल 861 मरीज अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे.

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