बोरियो. प्रस्तावित औद्योगिक गलियारे के विरोध में मांझी परगना सरकार के बैनर तले प्रखंड कार्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन सह रैली निकाली गयी. डाक बंगला से निकल कर प्रखंड मुख्यालय पहुंची. इस दौरान रैली में शामिल लोगों ने हेमंत सोरेन के विरोध में नारेबाजी की. रैली सह विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व पथरा के ग्राम प्रधान नरसिंह मरांडी ने किया. इस दौरान करीब 24 अलग-अलग गांव के ग्रामीण अपने पारंपरिक हथियार और डुगडुगी, नगाड़े के साथ शामिल हुए. ग्राम प्रधान नरसिंह मरांडी ने कहा कि सरकार अपने फायदे के लिए आदिवासियों की जमीन धोखे से हड़पना चाहती है. औद्योगिक गलियारा के नाम पर हेमंत सरकार आदिवासियों से धोखाधड़ी कर जमीन छीनने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों और सरकारी कर्मियों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है. इसीलिए हम आदिवासियों की जमीन किसी उद्योगपति को बेचकर हमारी ही बहन बेटियों को मंईयां सम्मान योजना की राशि देगी. कहा सरकार हमें योजना की राशि न दें. लेकिन हम अपनी जमीन किसी भी हाल में नहीं देंगे. कहा कि आदिवासियों की जमीन ही उनकी संस्कृति और परंपरा है. इस पर सरकार की नजर है. हम अपनी जान दे देंगे. पर जमीन नहीं देंगे. जिला प्रशासन ने ग्राम सभा की अनुमित के बिना जमीन चिह्नित कर औद्योगिक गलियारे के लिए प्रस्ताव भेजा है. बिना ग्राम सभा की जमीन को चिह्नित करना अधिकार का हनन है. उन्होंने कहा अनुसूचित क्षेत्र में राज्य व केंद्र सरकार की एक इंच भी जमीन नहीं है. आदिवासियों की जमीन के साथ सरकार जबरन छेड़छाड़ क्यों कर रही है. विरोध के बाद आदिवासियों ने राज्यपाल के नाम सीओ पवन कुमार यादव को ज्ञापन सौंपा. धारा 244 के तहत रुढ़ी प्रथा के तहत आदिवासी स्वशासन व नियंत्रण का अधिकार दिया है. इसीलिए जिस जमीन को चिह्नित करके राज्य सरकार को पत्र भेजा गया, उस पत्र को अविलंब रद्द करने को कहा है. अन्यथा, आदिवासी समाज उग्र व बाध्य होकर आंदोलन करेंगे. मौके पर ताला हांसदा, ग्राम प्रधान कालू टुडू, चरण मुर्मू, चरलेश मुर्मू, अरुण चौड़े, आशीष मुर्मू, सुमन हेंब्रम, विजय हेंब्रम, सिमोन सोरेन आदि मौजूद थे. क्या है मामला बोरियो अंचल के बीरबलकांदर, तेतुलिया, कुम्हरजोरी, सरायबिंधा, रामपुर, कुम्हरिया, चालधोवा, कामोगोड़ा मौजा में औद्योगिक गलियारा के लिए कुल 590.50 एकड़ जमीन चिह्नित कर प्रस्ताव भेजा गया है. जमीन अधिग्रहण कराने के लिए तकरीबन 200 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा गया है.
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