साहिबगंज. लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत शनिवार से हो रही है. साहिबगंज जिले में गंगा तट पर अर्घ्य देने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, लेकिन इस बार व्रतियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. नगर परिषद की लचर तैयारी और गंगा घाटों की बदहाल स्थिति ने पर्व की पवित्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सड़कों की खुदाई बनी परेशानी हर घर नल जल योजना के तहत शहर की अधिकांश सड़कों की खुदाई की जा चुकी है. पाइप बिछाने के बाद सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है, जिससे घाट तक नंगे पांव पहुंचना व्रतियों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. जर्जर सड़कों पर चलना न केवल कठिन है, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है. प्रशासन की तैयारी अधूरी नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा दो बार घाटों का निरीक्षण किया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है. छठ पर्व में मात्र तीन दिन शेष हैं, ऐसे में देखना होगा कि प्रशासन समय रहते क्या कदम उठाता है. व्रतियों की आस्था पर संकट छठ पर्व में व्रती नंगे पांव घाट तक जाते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं. लेकिन इस बार की स्थिति को देखते हुए उनकी आस्था और सुरक्षा दोनों पर संकट मंडरा रहा है. गंगा घाटों की स्थिति गंभीर जिले के प्रमुख घाटों की स्थिति इस प्रकार है: चानन घाट : गंगा तट से उतरते ही पांच से आठ फीट गहरा पानी चानन घाट पर गंगा तट से उतरते ही 5 से 8 फीट तक गहरा पानी मिल जाता है, जिससे व्रतियों के लिए अर्घ्य देना जोखिम भरा हो सकता है. घाट तक पहुंचने वाली सड़कें भी टूटी हुई हैं, जिससे नंगे पांव चलना बेहद कठिन है. सुरक्षा के लिहाज से यहां विशेष सावधानी की आवश्यकता है. प्रशासन को यहां बैरिकेडिंग और गाइडलाइन जारी करनी चाहिए. ओझा टोली घाट: प्रशासन की नजर में खतरनाक घोषित पुरानी साहिबगंज के निकट स्थित ओझा टोली घाट को जिला प्रशासन ने खतरनाक घोषित कर दिया है. यहां गंगा का पानी तट पर ही 8 से 10 फीट गहरा है, जिससे डूबने का खतरा बना रहता है. घाट पर कोई सुरक्षा उपाय नहीं दिखता. छठ पर्व के दौरान यहां व्रतियों की भीड़ जुटती है, ऐसे में प्रशासन को वैकल्पिक घाट की व्यवस्था करनी होगी. बिजली घाट: जगह की कमी और सीढ़ियों के दोनों ओर पसरी गंदगी बिजली घाट मुकेश्वर धाम के पास स्थित है, जहां कुलीपाड़ा, बडतल्ला और साउथ कॉलोनी से लोग पहुंचते हैं. रास्ता ठीक है, लेकिन घाट पर जगह की कमी और सीढ़ियों के दोनों ओर कचरे का अंबार परेशानी का कारण है. गंगा किनारे साफ-सफाई नहीं होने से व्रतियों को अर्घ्य देने में कठिनाई होगी. नगर परिषद को तत्काल सफाई अभियान चलाना चाहिए. शकुंतला सहाय घाट: जलकुंभी और झाड़ियों से तट बना दलदली शकुंतला सहाय घाट पर लगभग 50 मीटर तक स्थिति सामान्य है, लेकिन उसके आगे जलकुंभी और झाड़ियों ने गंगा तट को दलदली बना दिया है. यहां छठ पर्व करना व्रतियों के लिए मुश्किल होगा. घाट तक पहुंचने वाले रास्ते भी खराब हैं. यदि समय रहते सफाई और समतलीकरण नहीं हुआ, तो यह घाट उपयोग के लायक नहीं रहेगा. शीतला मंदिर घाट: पहुंचने का पक्का रास्ता नहीं शीतला मंदिर घाट पर चौक बाजार, रसूलपुर, गुल्ली भट्टा आदि क्षेत्रों से लोग पहुंचते हैं. लेकिन मंदिर से नीचे उतरते ही कीचड़ और तीन से चार फीट गहरा पानी मिल जाता है. घाट तक जाने का कोई पक्का रास्ता नहीं है. वैकल्पिक व्यवस्था के बिना यहां छठ पूजा करना जोखिम भरा हो सकता है. प्रशासन को त्वरित हस्तक्षेप करना चाहिए. शोभनपुर घाट: समुचित सफाई और समतलीकरण नहीं गोपालपुर से शोभनपुर घाट की स्थिति भी चिंताजनक है. पुल बन जाने से लोग ऊपर से पहुंच सकते हैं, लेकिन नीचे उतरते ही खेतों में दलदल की स्थिति है. घाट पर समुचित सफाई और समतलीकरण नहीं हुआ है. व्रतियों को यहां अर्घ्य देने में कठिनाई होगी. प्रशासन को यहां मिट्टी भराई और बैरिकेडिंग की व्यवस्था करनी चाहिए. क्या कहते हैं नप प्रशासक छठ पर्व को लेकर नगर परिषद द्वारा सफाई कार्य शुरू कर दिया गया है, गंगा घाट की स्थिति बेहतर किया जा रहा है. छठ पर्व अच्छे से लोग कर सकें. इसके लिए प्रशासन तैयार है. अभिषेक कुमार सिंह, नप प्रशासक, साहिबगंज
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