राजमहल/मंगलहाट लोक आस्था और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया. शनिवार को क्षेत्र के विभिन्न गांवों से व्रती मंगलहाट स्थित नमामि गंगे घाट और कन्हैयास्थान घाट पहुंचे तथा गंगा में पवित्र स्नान कर व्रत की शुरुआत की. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होने वाला यह पर्व छठ माई पूजा, डाला छठ, सूर्य षष्ठी व्रत आदि नामों से भी जाना जाता है. इस वर्ष छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से हो रही है. पहले दिन नहाय-खाय के अवसर पर व्रती स्नान कर नये वस्त्र धारण करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं. इस दिन चना दाल और लौकी की सब्जी का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस व्रत के आरंभ से पूर्व तन और मन दोनों का शुद्ध होना आवश्यक है. दूसरे दिन खरना मनाया जाएगा, जो इस वर्ष 26 अक्टूबर को है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम में गुड़ तथा चीनी की खीर बनाकर पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं. तत्पश्चात यह प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों में वितरित किया जाता है. तीसरे दिन, 27 अक्टूबर को, व्रती गंगा नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. यह दिन छठ पर्व का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है. अंतिम दिन 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपने व्रत का समापन करेंगे. इसके बाद घाटों पर उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा. गंगा घाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. पूरे क्षेत्र में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का माहौल व्याप्त है.
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