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खत्म हुआ लंबा इंतजार, साहिबगंज–कटिहार सीमा पर सीमांकन शुरू

वर्षों से लंबित सीमांकन व असर्वेक्षित भूमि पर छपी खबर का असर

साहिबगंज

साहिबगंज जिले के दियारा क्षेत्रों में वर्षों से लंबित सीमांकन और असर्वेक्षित जमीन का मुद्दा आखिरकार प्रशासनिक कार्रवाई के दायरे में आ गया है. प्रभात खबर द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित विस्तृत रिपोर्ट तथा किसानों द्वारा दायर जनहित याचिका के आलोक में अब अधिकारी फील्ड में उतर चुके हैं. इसी क्रम में साहिबगंज सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी बासुकीनाथ टुडू ने राजस्व कर्मचारियों और अमीनों की टीम के साथ लाल बथानी, मखमलपुर तथा कटिहार जिला अंतर्गत मनिहारी अंचल के बैजनाथपुर दियारा क्षेत्र में सीमांकन कार्य की शुरुआत कर दी है. गंगा, असामाजिक तत्वों का दबदबा और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण दशकों से अपना हक पाने को तरसते हजारों किसानों के लिए यह पहल उम्मीद की एक नई किरण है. असर्वेक्षित भूमि विकास का सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है.

सीमांकन शुरू: सदर अंचलाधिकारी ने संभाला मोर्चा

साहिबगंज — साहिबगंज सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी बासुकीनाथ टुडू ने लाल बथानी और मखमलपुर दियारा में सीमांकन कार्य की निगरानी की. इसके साथ ही कटिहार जिले के मनिहारी अंचल अंतर्गत बैजनाथपुर दियारा क्षेत्र में बिहार की टीम भी सर्वे में शामिल हुई. दोनों राज्यों की संयुक्त टीम ने खेतों की स्थिति, पुरानी सीमाएं, नक्शा अभिलेख, ग्रामीणों के दावों, जलभराव और बाढ़ के प्रभाव का विस्तृत निरीक्षण किया. ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि दियारा क्षेत्र में अनिश्चितता हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है.

उधवा में 53 मौजे असर्वेक्षित, कइयों के पास कागजात नहीं

साहिबगंज. सदियों से बसे गांवों के पास वैध कागजात नहीं हैं, जिसके कारण सरकारी योजनाओं से वंचित हजारों परिवार साहिबगंज के तीन प्रखंड- सदर, राजमहल और उधवा में कुल 53 मौजे आज भी असर्वेक्षित हैं. यह स्थिति न केवल भूमि अधिकार को प्रभावित करती है, बल्कि ग्रामीणों को सरकार की मूल योजनाओं से भी दूर रखती है. आय, जाति, आवासीय प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, पेंशन, छात्रवृत्ति, फसल बीमा, पीएम किसान सम्मान निधि जैसे लाभ बड़ी आबादी को सिर्फ इसलिए नहीं मिल पाते क्योंकि उनकी जमीन का सर्वे ही पूरा नहीं हुआ है.

दियारा किसानों की त्रासदी: फसल हमारी, कब्जा किसी और का

दियारा क्षेत्र में किसानों की कहानी दुख और संघर्ष से भरी है. किसान लक्ष्मण यादव और सुनील यादव बताते हैं कि फसल बोई हमारी होती है, लेकिन कटाई के समय कब्जा असामाजिक तत्व कर लेते हैं. खूनी संघर्ष, मारपीट और जबरन कटाई यहां आम बात हैं. वर्ष के आठ महीने ही खेती होती है, जबकि चार महीने तक गंगा बाढ़ के रूप में कहर बरपाती है. बाढ़ के दौरान खेत, घर और खलिहान सब पानी में समा जाते हैं. मवेशियों का चारा संकट में आता है, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, और पूरी बस्ती कई बार पलायन को मजबूर हो जाती है. रामपुर, बाबूपुर, हाजीपुर दियारा और फतेहगंज दियारा के किसान बताते हैं कि जब तक जमीन का सर्वे नहीं होगा, हमारा जीवन हमेशा अस्थिर ही रहेगा.

क्यों नहीं हो सका सर्वे: 1976-77 में शुरू हुआ था सर्वे, अंतिम बार 2015 में लगा था कैंप

साहिबगंज में सर्वे की शुरुआत 1976–77 में हुई थी. आजादी के बाद जिले में कुल 151 मौजे असर्वेक्षित थे. 2015 में विशेष शिविर लगाया गया, जिसमें 98 मौजों का सर्वे पूरा हो गया, लेकिन 53 मौजे अब भी अधूरे हैं. कागजातों का अभाव, दियारा क्षेत्र की भौगोलिक कठिनाइयाँ, बाढ़ और कटाव, कई वर्षों तक प्रशासन का लचर रवैया, और असामाजिक तत्वों का दबदबा. यही वजहें हैं जिनसे हजारों परिवार अधिकार, सुरक्षा और पहचान से वंचित रह गए हैं.

हाईकोर्ट का सख्त रुख: आठ महीनों में सर्वे पूरा करने का आदेश

साहिबगंज. अगस्त 2024 में दियारा क्षेत्र के किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने प्रशासन को आठ महीनों के भीतर सभी असर्वेक्षित जमीन का सर्वे पूरा करने का आदेश दिया. इसके बाद राज्य सरकार हरकत में आयी और सभी प्रभावित जिलों के अपर समाहर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक कर त्वरित एक्शन प्लान तैयार किया गया. अब यह सीमांकन अभियान उसी आदेश का प्रभाव है, जिसने साहिबगंज प्रशासन को तुरंत मैदान में उतरने को बाध्य किया है. इससे जिले की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, पलायन कम होगा और दियारा क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेगा. यह केवल जमीन का सर्वे नहीं, बल्कि किसानों की किस्मत बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत होगी.

क्या कहते हैं अंचलाधिकारी

हमने फील्ड में सर्वे की वास्तविक स्थिति देखी है. सीमांकन कार्य शुरू हो चुका है और इसे प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाएगा. जिन गांवों में वर्षों से विवाद चल रहा है, वहां जल्द स्पष्ट सीमा चिन्हित की जाएगी. किसानों की जमीन सुरक्षित करना हमारी सर्वोच्च जिम्मेदारी है.” उन्होंने आगे कहा कि जीपीएस आधारित सर्वे और पुराने अभिलेखों के मिलान के बाद रिपोर्ट जिला मुख्यालय भेजी जाएगी.

बासुकीनाथ टुडू, सीओ, सदर अंचल, साहिबगंज

क्या कहते हैं अपर समाहर्ता

साहिबगंज. साहिबगंज जिले में असर्वेक्षित जमीन का मुद्दा बेहद गंभीर है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन पूरी तत्परता से कार्य कर रहा है. जल्द विशेष शिविर लगाकर सभी 53 मौजों का सर्वे पूरा कराया जाएगा. दियारा क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए ड्रोन मैपिंग और जीपीएस सर्वे भी कराया जाएगा. म्यूटेशन, कागजात और योजनाओं का लाभ तभी सुनिश्चित हो पाएगा जब सर्वे रिकॉर्ड अपडेट होंगे.”

गौतम कुमार भगत, अपर समाहर्ता, साहिबगंज

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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